भगवान् श्री हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाली हर तरह की पीड़ा और परेशानियों को दूर करते हैं। यह माना जाता है कि भगवान श्री हनुमान जी अपने भक्तो पर जल्द प्रसन्न होने वाले भगवान हैं। उनकी पूजा में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती। हिंदू धर्म में सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व है। सुंदरकांड पाठ में भगवान श्री हनुमान जी के जीवन को विस्तार से वर्णन किया गया है। श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित सुंदरकांड को सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, जो भी नियमित घर पर सुंदरकांड का पाठ करता है उसे भगवान् श्री बजरंगबली जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं सुंदरकांड के पाठ का इतना महत्व क्यों है और इसकी पूजा करने की विधि क्या है ...
सुंदरकांड का महत्व
भगवान् श्री हनुमान जी जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उन्हें बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करने बाले भगवान् माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। हर दिन सुंदरकांड का पाठ करने वाला व्यक्ति अपनी एकाग्रता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा आती है। ऐसी स्थिति में, उसके द्वारा किए गए किसी भी कार्य का परिणाम हमेशा सकारात्मक होता है। इसीलिए हमें हर घर में सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के अंदर से नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं।
- यदि आप भगवान् श्री हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं, तो इसे मंगलवार या शनिवार से शुरू करें।
- सुंदरकांड पाठ शुरू करने से पहले साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हुई भगवान् श्री हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा माता सीता जी और भगवान् श्री राम जी की मूर्तियों को भी भगवान् श्री हनुमान जी की प्रतिमा के पास स्थापित करें।
- भगवान् श्री हनुमान जी की पूजा फल, फूल, मिठाई और सिंदूर से करें।
- सुंदरकांड पाठ शुरू करने से पहले भगवान् श्री गणेश जी की वंदना करें।
- पूजा करते समय श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस की भी पूजा करनी चाहिए।
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