कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, इसके पीछे तर्क यह है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन पर कोरोना वायरस तेजी से हमला करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी मानना है कि भले ही कोरोना की दूसरी लहर थम गई हो, लेकिन खतरा पूरी तरह टला नहीं है। इसलिए इस महामारी से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना बहुत जरूरी है।
आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। जिनमें से एक है गिलोय का काढ़ा। इस खबर में हम आपके लिए लेकर आए हैं गिलोय के काढ़े के फायदे और इसे बनाने की विधि.
गिलोय का काढ़ा बनाने की सामग्री
- दो कप पानी
- एक चम्मच हल्दी
- 2 इंच अदरक का टुकड़ा
- गिलोय के एक-एक इंच के ५ टुकड़े
- 6-7 तुलसी के पत्ते
- गुड़ स्वादानुसार
गिलोय का काढ़ा बनाने की विधि
- कढ़ाई में २ कप पानी डालिये
- अब इसे मध्यम आंच पर उबालने के लिए रख दें।
- बाकी सारी सामग्री डालकर गिलोय भी डाल दें।
- फिर इसे कुछ देर धीमी आंच पर पकने दें।
- जब पानी आधा रह जाए और सब कुछ अच्छे से पक जाए तो गैस बंद कर दें।
- इसे किसी कपड़े या छलनी से छान लें और प्याले में डालकर चाय की तरह पी लें।
इसलिए है खास, गिलोय का काढ़ा
आयुर्वेद में गिलोय का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह बहुत ही सस्ती आयुर्वेदिक दवा है। गिलोय को गुडूची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है। डेंगू, चिकनगुनिया, बुखार जैसे गंभीर रोगों में गिलोग का रस और काढ़ा दिया जाता है। इसके अलावा गिलोय बदलते मौसम में कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है।
कितना पिएं गिलोय का काढ़ा
आप रोजाना एक कप गिलोय का काढ़ा पी सकते हैं। इससे ज्यादा न पिएं, क्योंकि ज्यादा सेवन करने से आपको नुकसान हो सकता है। अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।
गिलोय का काढ़ा पीने के 5 फायदे?
- गठिया में भी गिलोय बहुत फायदेमंद होता है।
- इसे पीने से शरीर कई तरह के संक्रमण और संक्रामक तत्वों से बच सकते है।
- इसमें मौजूद अदरक और हल्दी मिलकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं।
- गिलोय ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए भी फायदेमंद होता है।
- आयुर्वेद में मधुमेह के रोगियों को गिलोय खाने की सलाह दी जाती है।
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