देश के साथ-साथ अब पंजाब की जेलों में भी कोरोना वायरस का खतरा आने लगा है। भीड़भाड़ के कारण राज्य की जेलें ओवरलोड हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कोरोना महामारी के तेजी से बढ़ने को देखते हुए जेलों से भरी जेलों से बंदियों की संख्या कम करने का खाका तैयार किया गया है। पंजाब की जेलों में 23,776 लोगों को रखने की क्षमता है। जबकि मौजूदा संख्या 23,808 है। इनमें सजा काट रहे 6347 कैदी और 17,461 विचाराधीन कैदी शामिल हैं। जमानत नहीं मिलने के कारण कई लोग सलाखों के पीछे भी हैं। पैरोल की रिहाई में कोई देरी न हो। इसलिए पंजाब सरकार को निर्देश जारी किए गए हैं, कि पंजाब गुड कंडक्ट कैदी एक्ट, 1962 के तहत प्रत्येक जिले के संबंधित जेल अधीक्षक को पैरोल पर बंदियों को रिहा करने के लिए अधिसूचना जारी की जाए।
हाई पावर कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि पैरोल पर रिहा होने वाले प्रत्येक जमानती बांड के लिए प्रत्येक जिला मजिस्ट्रेट को एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट की ड्यूटी लगानी चाहिए। कौन उन ज़मानत बांडों की जाँच करता है। वह भी जेल में ही दिया जाए। ताकि किसी तरह की देरी न हो। इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि जिन लोगों ने पिछले साल पैरोल पर जमानती बांड भरा था। अगर जमानत देने वाले लोग इस बार भी राजी हों तो वही जमानती मुचलका इस्तेमाल किया जाए। यदि वे पुराने जमानतदार नहीं माने तो नए जमानती बांड लिए जाने चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों को जून 2020 से मई 2021 के बीच सजा सुनाई गई है और चार महीने की सजा पूरी कर ली है। तो वे भी निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार पैरोल पर रिहा होने के लिए उचित कार्रवाई करें। इसमें नियमों का पालन करना चाहिए।
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