जालंधर: पंजाब सरकार में बागवानी, स्वतंत्रता सेनानी और रक्षा सेवा कल्याण मंत्री मोहिंदर भगत ने आज एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने देश की बैंकिंग संस्थाओं से आग्रह किया है कि वे गरीब और कमजोर वर्गों को अधिक से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करें, ताकि भारत में सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाया जा सके।
बैंकिंग कर्मचारियों को सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की अपील
यूको बैंक द्वारा आयोजित युवा और महिला कर्मचारियों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर को चाहिए कि वे जरूरतमंद लोगों तक ऋण और योजनाओं की सुविधा सरलता से पहुँचाएं। इससे न सिर्फ गरीबी कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी।
उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत
मंत्री मोहिंदर भगत ने यह भी कहा कि समय की मांग है कि नए बिज़नेस शुरू करने के लिए आसान ऋण उपलब्ध कराए जाएं, जिससे युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर मिल सकें। उन्होंने बैंक कर्मियों को देश के आर्थिक विकास में भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया।
वित्तीय समावेशन की ओर एक बड़ा कदम
मंत्री ने स्पष्ट किया कि वित्तीय समावेशन यानी "हर व्यक्ति तक बैंकिंग सुविधाएं पहुँचाना" सिर्फ एक नीतिगत कदम नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का जरिया भी है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग कर्मचारी इस बदलाव के अग्रदूत बन सकते हैं अगर वे सरकारी योजनाओं को सही लोगों तक पहुँचाने में मदद करें।
सरकारी योजनाओं का उद्देश्य- सम्मानजनक जीवन
सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं जैसे मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया, जनधन योजना आदि का मुख्य उद्देश्य है कि कमजोर वर्ग के लोग भी आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सकें। मंत्री भगत ने बैंकिंग संस्थानों से आग्रह किया कि वे इन योजनाओं को और भी प्रभावशाली तरीके से लागू करें।
समापन में हुआ सम्मान समारोह
कार्यक्रम के समापन पर संगठन के चेयरमैन के. विजयन, अध्यक्ष राम अवतार शर्मा और महासचिव पार्थ चंद ने कैबिनेट मंत्री का स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
बैंकिंग सेक्टर की भागीदारी से ही भारत का समावेशी विकास संभव है। अगर हर बैंक कर्मी जरूरतमंदों तक योजनाएं पहुँचाने का संकल्प ले, तो गरीबी, बेरोजगारी और असमानता जैसी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। यह समय है कि बैंक एक नई भूमिका में आएं- सिर्फ वित्तीय संस्थान नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के वाहक बनें।
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