भारत सरकार की पीएम-प्रणाम योजना (PM-PRANAM Scheme) जो
चर्चा में है क्योंकि इसने देश में सिंथेटिक (रासायनिक) उर्वरकों के उपयोग
में उल्लेखनीय कमी लाने
में सफलता पाई है। वर्ष 2023-24 में
करीब 15.14
लाख टन रासायनिक उर्वरकों का कम इस्तेमाल किया
गया, जिससे
सरकार को सब्सिडी में भारी बचत हुई।
👉 इसमें
सबसे बड़ी भूमिका निभाई कर्नाटक
राज्य ने, जिसने अकेले 30% तक सब्सिडी बचत में योगदान दिया। इसके
बाद महाराष्ट्र, पश्चिम
बंगाल और आंध्र प्रदेश का स्थान रहा,
जिन्होंने मिलकर 58%
से अधिक योगदान दिया।
🌱
पीएम-प्रणाम योजना क्या है?
PM-PRANAM (Promotion of Alternate
Nutrients for Agriculture Management)
योजना को
जून 2023 में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी। इसका
उद्देश्य है:
📅
योजना की अवधि और लक्ष्य
यह योजना 2023-24 से
2025-26 तक की तीन वर्षों के लिए लागू की गई है।
इसका मुख्य लक्ष्य है:
⚙️ योजना के प्रमुख तत्व
- इंटीग्रेटेड फर्टिलाइज़र मैनेजमेंट सिस्टम (IFMS)
के जरिए उर्वरकों के उपयोग पर नज़र
रखी जाती है।
- राज्य सरकारों को
यूरिया, DAP, NPK, MOP जैसे
उर्वरकों के
विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- इससे
मिट्टी की गुणवत्ता, जल स्रोतों की
स्वच्छता और जैव
विविधता संरक्षण
को भी बल मिलता है।
💰
सब्सिडी और पुरस्कार
केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली
सब्सिडी की बचत का:
- 50% हिस्सा संबंधित
राज्य को दिया जाता है
- इसमें से 70%
वैकल्पिक उर्वरकों के उत्पादन व
तकनीक में खर्च होता है
- और 30% उन किसानों,
पंचायतों और हितधारकों को
प्रोत्साहन देने में, जो
रासायनिक उर्वरकों के कम उपयोग में भागीदारी निभाते हैं
PM-PRANAM योजना न
केवल उर्वरकों पर सरकार के खर्च को कम कर रही है,
बल्कि यह भारत की कृषि को हरित, स्वच्छ और दीर्घकालिक
रूप से टिकाऊ बनाने
की दिशा में एक निर्णायक कदम है। जैविक खेती की ओर बढ़ना आज के समय की ज़रूरत भी
है और समाधान भी।
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