आज भारत जिस रफ्तार से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है, उसमें सौर ऊर्जा की भूमिका सबसे अहम है। खासतौर पर सोलर फोटोवोल्टेइक मॉड्यूल (Solar PV Modules) की लागत में जबरदस्त गिरावट ने एक ऊर्जा क्रांति को जन्म दिया है।
हाल ही में UC बर्कले के India Energy and Climate Center (IECC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सोलर पैनल्स की लागत में 2010 से 2024 के बीच 95% की गिरावट आई है। जहाँ 2010 में प्रति वाट सौर पैनल की कीमत ₹200 थी, वहीं अब यह घटकर ₹9 से भी कम हो गई है।
📉 कीमतों में गिरावट, फायदे अनेक:
· सोलर + स्टोरेज सिस्टम अब ₹6 प्रति किलोवाट घंटे से कम में 24x7 स्वच्छ बिजली प्रदान कर सकता है।
· लिथियम आयन बैटरियों की कीमतें भी घटी हैं, जिससे स्टोरेज की उम्र और प्रदर्शन दोनों में सुधार हुआ है।
· ये सिस्टम कोयले से चलने वाले पावर प्लांट की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद और सस्ते हैं।
🔋 भारत की बैटरी और सौर उत्पादन क्षमता में उछाल
· 2014 में भारत की सोलर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता सिर्फ 2 गीगावाट थी, जो अब बढ़कर 2024 में 60 गीगावाट हो गई है।
· भारत अब सौर मॉड्यूल उत्पादन में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनकर उभर रहा है।
· सरकार ट्रांसमिशन और ऊर्जा की अनिश्चितता से निपटने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर समाधान विकसित कर रही है।
🌞 भारत की वर्तमान सौर ऊर्जा स्थिति (अप्रैल 2025 तक):
श्रेणी |
क्षमता (गीगावाट) |
ग्राउंड माउंटेड सोलर |
81.1 GW |
रूफटॉप सोलर |
17.02 GW |
हाइब्रिड सोलर प्रोजेक्ट्स |
2.87 GW |
ऑफ-ग्रिड सिस्टम |
4.74 GW |
कुल सौर क्षमता |
105.65 GW |
👉 भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 47% हिस्सा सिर्फ सौर ऊर्जा का है, जो इसे सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बनाता है।
🎯 भविष्य की दिशा
भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 100 गीगावाट से भी अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल की जाए। मौजूदा रफ्तार और नीति समर्थन को देखते हुए यह लक्ष्य अब दूर नहीं लगता।
सौर ऊर्जा सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांति है। सस्ती, सुलभ और स्वच्छ ऊर्जा का सपना अब हकीकत बनता जा रहा है। यदि हम सही दिशा में चलते रहे, तो जल्द ही भारत एक ग्रीन सुपरपावर बन सकता है।
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