- हाल ही में, अमेरिका की एंडुरिल और यूएई के एज ग्रुप ने अबू धाबी स्थित 50,000 वर्ग फुट के एक अनुसंधान केंद्र में सहयोग से ओमेन ड्रोन का विकास शुरू किया है।
- यह ड्रोन अद्वितीय है क्योंकि यह वर्टिकल टेकऑफ़ और लैंडिंग (VTOL) कर सकता है और इसमें हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम लगा है।
- ओमेन ड्रोन का इस्तेमाल सैन्य और नागरिक दोनों अभियानों के लिए किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल समुद्री निगरानी, बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और तटीय क्षेत्रों में ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टोही) के लिए किया जाएगा।
भारत की INVAR मिसाइल
- अब बात करते हैं INVAR एंटी-टैंक मिसाइल की, जो भारत के T-90 टैंकों की क्षमताओं को बढ़ाएगी।
- रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) के साथ ₹2,095 करोड़ से अधिक के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- INVAR मिसाइल लंबी दूरी तक सटीक वार करती है और विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच से लैस टैंकों को नष्ट कर सकती है। इसे अर्ध-स्वचालित लेज़र बीम-राइडिंग गाइडेंस के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह जैमिंग के प्रति प्रतिरोधी है।
- इसका निर्माण रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट द्वारा किया जाता है और BDL के लाइसेंस के तहत भारत में इसका उत्पादन किया जा रहा है।
इसका मतलब है कि हमारी सेना अब और भी अधिक शक्तिशाली और आधुनिक हथियारों से लैस है।
सड़क एवं आपदा प्रबंधन
- सड़क परिवहन मंत्रालय ने अब सभी राजमार्ग परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन डेटाबेस (एनडीईएम) के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है।
- एनडीईएम एक अनूठा भू-स्थानिक पोर्टल है जो प्राकृतिक आपदाओं के लिए अंतरिक्ष-आधारित डेटा और पूर्वानुमान प्रदान करता है। इसे इसरो द्वारा विकसित और एनआरएससी द्वारा संचालित किया गया है।
इसका अर्थ है कि भारत में सड़क एवं आपदा प्रबंधन अब और भी बेहतर और वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा।
ब्लू ओरिजिन और एस्केपेड मिशन
- अंतरिक्ष में भी एक नई खबर है। ब्लू ओरिजिन ने नासा का एस्केपेड मिशन लॉन्च किया है।
- इस मिशन में, दो ऑर्बिटर, "ब्लू और गोल्ड", मंगल ग्रह का अवलोकन करेंगे। यह नासा के सिम्पलेक्स कार्यक्रम का हिस्सा है।
इसका अर्थ है कि मंगल ग्रह की खोज और उसके वायुमंडल को समझने में अब तेज़ी आ रही है।
लद्दाख में नया एयरबेस
- भारतीय वायु सेना ने लद्दाख में मुध-न्योमा एयरबेस का उद्घाटन किया और एक C-130J विमान उतारा।
- यह एयरबेस 13,700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से केवल 23 किलोमीटर दूर है। यह लद्दाख का चौथा, भारत का सबसे ऊँचा और दुनिया का पाँचवाँ सबसे ऊँचा एयरबेस है।
इससे हमारी सीमा सुरक्षा और रणनीतिक तैयारियों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
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