प्रदोष व्रत: हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। अगस्त माह का अंतिम प्रदोष व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होगा। यानी 24 अगस्त बुधवार को भादो का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। बुधवार का दिन होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। कहते हैं इस दिन भगवान शिव और गणेश की पूजा करने से जीवन की हर कठिनाई समाप्त हो जाती है। इस व्रत को करने से आपको मनचाहा वरदान मिल सकता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट और पाप जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। विवाहित लोग भी संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं। भगवान शिव की कृपा से धन, अन्न, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
प्रदोष व्रत तिथि और समय
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त बुधवार को सुबह 08.30 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी गुरुवार 25 अगस्त को सुबह 10.37 बजे तक चलेगी। ऐसे में प्रदोष पूजा का मुहूर्त 24 अगस्त को त्रयोदशी तिथि में होगा इसलिए बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को ही रखा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:52 बजे से रात 09:04 बजे तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इस दिन प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस व्रत के दौरान हल्के लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। चांदी या तांबे के बर्तन से शुद्ध शहद शिवलिंग पर प्रवाहित करें। फिर शुद्ध जल की धारा से अभिषेक करें और "ॐ सर्वसिद्धि प्रदाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान शिव को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। अपनी समस्या के समाधान लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और शिव चालीसा का पाठ करें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
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