हाल ही में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने, बैक्टीरिया की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस बैक्टीरिया का नाम रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर पैंटोआ टैगोरी रखा गया है। इस शोध में शांति निकेतन के क्षेत्र सोनाझुरी की मिट्टी से और झारखंड के झरिया के कोयला खनन क्षेत्र में बैक्टीरिया की खोज की गई है। यह बैक्टीरिया मिट्टी से पोटेशियम को कुशलता पूर्वक निकालता है। जो पौधों के विकास में सहायक होता है। इस खोज से वाणिज्यिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आएगी। साथ यह बैक्टीरिया कृषि की लागत में कटौती करने और फसल की उपज को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। बता दें कि इस खोज को एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त है।
पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती
प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को पंडित मदनमोहन मालवी की जयंती मनाई जाती है। इस साल इनकी 162वी जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर नरेंद्र मोदी आज कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पंडित मदन मोहन मालवीय की 11 खंडों की पहली श्रंखला का प्रकाशन करेंगे। आपको बता दें कि इनकी द्विभाषी हिंदी और अंग्रेजी कृति में देश के हर कोने से एकत्र किए गए मालवीय जी के लेखों और भाषणों का संग्रह है। इस कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया जा रहा है। आए जानते है, पंडित मदनमोहन मालवी के बारे में:
इनका जन्म 25 दिसंबर 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था, जिसे अब प्रयागराज कहते हैं। यह एक महान शिक्षाविद बेहतरीन वक्ता और एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता थे। महात्मा गांधी ने इन्हें महामना की उपाधि दी थी। भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने इन्हें कर्मयोगी का दर्जा दिया था। गिरमिटिया मजदूरी प्रथा को समाप्त करने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने की दिशा में भी कार्य किए। जातिगत भेदभाव और ब्राह्मणवादी प्रति सत्ता पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए इन्हें ब्राह्मण समुदाय से बाहर कर दिया गया था। मालवीय जी ने वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बीएचयू की स्थापना की थी। इन्होंने वर्ष 1907 में हिंदी साप्ताहिक अभुदय की शुरुआत की। 1909 में इन्होंने एक अंग्रेजी दैनिक अखबार लीडर की भी शुरुआत की। 12 नवंबर 1946 को 84 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया। साल 2014 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। भारतीय रेलवे ने मालवी जी के सम्मान में 2016 में वाराणसी नई दिल्ली महामना एक्सप्रेस शुरू की थी।
यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार 2023
हाल ही में यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार 2023 प्रदान किए गए। इसका उद्देश्य वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में निजी क्षेत्र की भागीदारी और सार्वजनिक निजी सहयोग को प्रोत्साहित करना है। यूनेस्को के बैंकॉक कार्यालय के अनुसार जुरी ने आठ देशों की कुल 48 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया। जिसमें 12 परियोजनाओं को सम्मान देने के लिए चयन किया गया है। मान्यता प्राप्त स्थलों में चीन के पांच, भारत के छह और नेपाल की एक परियोजना शामिल है। भारत की छह परियोजनाओं में शामिल है।
- रामबाग गेट और प्राचीर, अमृतसर
- पीपल हवेली, गुरदासपुर
- चर्च ऑफ एपिफेनी, गुरुग्राम
- कुन्ना मंगलम भगवती मंदिर में कर्णिकारा मंडपम, केरल
- डेविड सैसून लाइब्रेरी, मुंबई
- बीकानेर हाउस, नई दिल्ली
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