भारतीय रेलवे सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की जीवनरेखा है।
देशभर में 7000 से
ज्यादा रेलवे स्टेशन हैं और हर दिन 20,000
से अधिक ट्रेनें लाखों लोगों को उनकी मंज़िल तक पहुंचाती हैं।
लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि हर रेलवे स्टेशन पर नाम पीले रंग के बोर्ड पर
ही क्यों लिखा होता है?
यह कोई इत्तेफाक नहीं है- इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं
जो यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा से जुड़े हैं। आइए जानते हैं कि रेलवे ने पीले
रंग को ही क्यों चुना, और
इसके पीछे की रोचक बातें क्या हैं।
रेलवे स्टेशन के
बोर्ड पीले ही क्यों होते हैं?
पीला रंग हमारी आंखों को सबसे पहले और
सबसे साफ़ दिखाई देता है। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन के नाम पीले
रंग के बोर्ड पर काले अक्षरों में
लिखे जाते हैं।
इसके पीछे मुख्य कारण
हैं:
- ✅ दूर से भी साफ
दिखना: पीला
रंग दिन और रात दोनों समय में दूर से साफ दिखाई देता है। इससे ट्रेन ड्राइवर
(लोको पायलट) को स्टेशन का नाम दूर से ही नजर आ जाता है।
- ✅ सावधानी का
संकेत: पीला
रंग ध्यान आकर्षित करता है और एक तरह से चेतावनी भी देता है, जिससे लोको
पायलट पहले से सतर्क हो जाता है।
- ✅ भीड़ में आराम
का अनुभव: माना जाता है कि पीला रंग आंखों को सुकून देता है, इसलिए व्यस्त
प्लेटफॉर्म पर यह यात्रियों को राहत पहुंचाता है।
पीले बोर्ड पर काले
अक्षर ही क्यों?
यह एक बेहतरीन कलर कॉन्ट्रास्ट है। पीले
बैकग्राउंड पर काले रंग के अक्षर
सबसे ज्यादा विज़िबल होते हैं। यह कॉम्बिनेशन इंसानी आंखों के
लिए सबसे स्पष्ट होता है, जिससे
दूर से पढ़ना आसान हो जाता है।
फिर लाल रंग का
इस्तेमाल क्यों नहीं होता?
हालांकि लाल रंग तेज़ और विज़िबल होता
है, लेकिन
इसका संबंध खतरे
या आपात स्थिति से
होता है। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन के नाम या सामान्य सूचना में लाल रंग का
उपयोग नहीं किया जाता। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
लोको पायलट को कैसे
मदद मिलती है?
जब ट्रेन स्टेशन के पास पहुंचती है, तो पीले बोर्ड को देखकर लोको पायलट को
पता चल जाता है कि वह प्लेटफॉर्म पर है। अगर ट्रेन को रुकना नहीं भी है, तब भी वह हॉर्न बजाकर लोगों को सतर्क
करता है। इस तरह यह बोर्ड ट्रेन संचालन में मददगार होते हैं।
भारतीय रेलवे के ये पीले बोर्ड सिर्फ
सजावट नहीं, बल्कि सुरक्षा, सुविधा और विज्ञान का
बेहतरीन उदाहरण हैं। ये बोर्ड न सिर्फ यात्रियों को सही जानकारी देते हैं, बल्कि ट्रेन चालकों को भी स्टेशन की
पहचान और निर्णय लेने में मदद करते हैं।
क्या आपने कभी किसी खास स्टेशन का बोर्ड
नोट किया है? अगली
बार जब आप ट्रेन से सफर करें,
तो इस रोचक विज्ञान को जरूर याद रखिएगा।
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