सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: तीसरे बच्चे पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश - MSD News

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: तीसरे बच्चे पर भी मिलेगा मातृत्व अवकाश

 

🔍 चर्चा में क्यों है?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि कोई महिला अगर तीसरे बच्चे को जन्म देती है तो भी वह मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) की हकदार है। यह फैसला मद्रास हाई कोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णय को पलटते हुए आया है, जिसमें एक सरकारी शिक्षिका को तीसरे बच्चे पर छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया था।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु:

·         मातृत्व अवकाश महिलाओं का कानूनी और नैतिक अधिकार है।

·         अनुच्छेद 21: जीवन, गरिमा और प्रजनन विकल्प का अधिकार सुनिश्चित करता है।

·         अनुच्छेद 42: काम की मानवीय स्थितियों और मातृत्व राहत को अनिवार्य बनाता है।

·         मातृत्व अधिकार मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण से सीधे जुड़े हुए हैं।

 

🏛️ मद्रास उच्च न्यायालय ने क्यों किया था इनकार?

·         तमिलनाडु सरकार की नीति के अनुसार तीसरे बच्चे पर अवकाश की अनुमति नहीं थी।

·         इसका तर्क था: जनसंख्या नियंत्रण नीति के तहत सीमित लाभ।

·         लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीति कानून से ऊपर नहीं हो सकती

 

📜 भारत में मातृत्व से जुड़े प्रमुख कानून

मातृत्व लाभ अधिनियम 1961

·         महिलाओं को उनके मातृत्व के दौरान वेतन सहित अवकाश सुनिश्चित करता है।

·         लागू होता है ऐसे संस्थानों पर जहाँ 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों।

मातृत्व संशोधन विधेयक 2017

·         दो बच्चों तक मातृत्व अवकाश: 26 सप्ताह

·         तीसरे बच्चे पर: 12 सप्ताह का अवकाश

·         गोद लिए गए बच्चे की माँ को भी 12 सप्ताह का अवकाश

·         50 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों में क्रेच सुविधा अनिवार्य

·         मां को दिन में 4 बार बच्चे से मिलने की अनुमति

 

💬 इस फैसले का क्या मतलब है?

यह निर्णय सिर्फ एक महिला के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश की कामकाजी महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह उन महिलाओं के लिए भी उम्मीद की किरण है जो नौकरी और मातृत्व के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं।

 

महिलाओं के अधिकारों को लेकर आया यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान में प्रदत्त गरिमा और समानता के अधिकार को और मजबूती देता है।
यह केवल कानून का नहीं, बल्कि न्याय का भी उदाहरण है।

 

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