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राज्यसभा: भारत का स्थाई उच्च सदन
अनुच्छेद 80 के
तहत राज्यसभा की अधिकतम सदस्य संख्या
250 तय की गई है, जिनमें से:
- 12 सदस्य
राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत
किए जाते हैं।
- 238 सदस्य राज्यों
और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वर्तमान में कुल 245 सदस्य कार्यरत
हैं, जिनमें
233 राज्यों
और संघ राज्य क्षेत्रों से हैं।
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राष्ट्रपति द्वारा नामांकन के मानदंड
राष्ट्रपति द्वारा नामांकित 12 सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला या सामाजिक सेवा में
विशेष अनुभव या ज्ञान रखने वाले होते हैं।
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सीटों का आवंटन कैसे होता है?
चौथी अनुसूची के अनुसार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को
उनकी जनसंख्या के
आधार पर राज्यसभा सीटें दी जाती हैं।
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चुनाव प्रक्रिया: अप्रत्यक्ष लेकिन
महत्वपूर्ण
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष
निर्वाचन प्रणाली द्वारा
होता है, जिसमें:
- निर्वाचित विधायक मतदान करते हैं।
- एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) अपनाई
जाती है।
- यह प्रणाली
आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित
करती है।
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स्थायित्व और सेवानिवृत्ति का प्रावधान
⚠️ उपचुनाव: जब पद खाली
हो जाए
📝
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन
2003 में
इस अधिनियम में एक अहम बदलाव किया गया:
- मतदान अब
खुला मतदान (Open Ballot)
होता है।
- विधायक को अपना वोट पार्टी के अधिकृत एजेंट को
दिखाना अनिवार्य
होता है।
- ऐसा ना करने पर वोट अमान्य घोषित
कर दिया जाता है।
स्वतंत्र विधायक (Independent MLAs) को अपना मत किसी को
दिखाने की अनुमति नहीं होती।
राज्यसभा चुनाव केवल
राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भारत
के लोकतंत्र की जड़ें
हैं। इसकी प्रणाली,
पारदर्शिता और स्थायित्व हमारे संविधान की परिपक्वता को
दर्शाते हैं। UPSC, PSC और
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह विषय बेहद महत्वपूर्ण है।
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