आज जालंधर में एक ऐतिहासिक पल देखने को
मिला जब कमिश्नरेट
पुलिस ने
'युद्ध
नशे के विरुद्ध' मुहिम
के तहत अपनी जान की बाज़ी लगाकर समाज को बचाने वाले 15 पुलिस
कर्मचारियों को
विशेष रूप से सम्मानित किया।
यह सम्मान कार्यक्रम पंजाब
सरकार की
उस मुहिम का हिस्सा है जो राज्य को
ड्रग्स मुक्त
बनाने के लिए चलाया जा रहा है। इस मौके पर पुलिस
कमिश्नर धनप्रीत कौर ने
6 सब-इंस्पेक्टर और
9 असिस्टेंट
सब-इंस्पेक्टर (ASI) को उनकी अद्वितीय सेवा के लिए CC-1 प्रशंसा
पत्र देकर
नवाजा।
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युद्ध नशे के विरुद्ध: क्यों है यह मुहिम
खास?
- पंजाब में
नशे की समस्या लंबे
समय से चिंता का विषय रही है।
- इस मुहिम का उद्देश्य है युवाओं को नशे की गिरफ्त से बाहर
निकालना और समाज को एक
स्वस्थ भविष्य देना।
- इसमें पुलिस की
कड़ी मेहनत, साहस और
ईमानदारी से
निभाई गई भूमिका को सराहा गया।
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इन जांबाज़ों का सम्मान क्यों है जरूरी?
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि ये सम्मान
सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि प्रेरणा
का स्रोत है
जो अन्य पुलिस कर्मियों को भी
कर्तव्य-निष्ठा
के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा:
"ऐसे
पुलिसकर्मियों का साहस पूरे विभाग का मनोबल बढ़ाता है और जनता के दिलों में पुलिस
के लिए विश्वास जगाता है।"
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कार्यक्रम में शामिल प्रमुख अधिकारी
- डीसीपी (इनवेस्टिगेशन) मनप्रीत सिंह
ढिल्लों
- ए.डी.सी.पी. (इनवेस्टिगेशन) जयंत पुरी
- ए.डी.सी.पी. (हेडक्वार्टर) सुखविंदर सिंह
इन अधिकारियों की मौजूदगी ने इस आयोजन
को और भी गरिमामयी बना
दिया।
इस तरह की पहलों से स्पष्ट है कि पंजाब
पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था ही नहीं,
बल्कि समाज के निर्माण में भी अहम भूमिका निभा रही है। हमें
गर्व है उन बहादुर जवानों पर जो हर दिन हमारी सुरक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य के
लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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