आज की बदलती दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इन्हें नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है। इसी दिशा में इंटरपोल ने एक नई पहल की शुरुआत की है जिसे "सिल्वर नोटिस" कहा जाता है। हाल ही में भारत ने पहली बार इंटरपोल से एक सिल्वर नोटिस जारी करवाया, जिससे यह मुद्दा चर्चा में आ गया है।
तो आइए समझते हैं कि इंटरपोल का सिल्वर नोटिस क्या है, इसका क्या महत्व है, और भारत की भूमिका इसमें कितनी अहम है।
📌 सिल्वर नोटिस?
भारत ने हाल ही में एक पूर्व फ्रांसीसी दूतावास अधिकारी शुभम शौकन के खिलाफ वीज़ा धोखाधड़ी मामले में इंटरपोल से पहला सिल्वर नोटिस जारी करवाया है। यह एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि इससे पहले किसी सदस्य देश के अनुरोध पर इंटरपोल ने ऐसा नोटिस जारी नहीं किया था।
🔍 सिल्वर नोटिस क्या है?
सिल्वर नोटिस, इंटरपोल द्वारा 2023 में लॉन्च की गई एक नई नोटिस कैटेगरी है, जिसे 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान सुझाव के आधार पर अपनाया गया था। यह नोटिस 2025 तक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है जिसमें भारत सहित 52 देश भाग ले रहे हैं।
इसका उद्देश्य:
· अपराध से अर्जित संपत्ति की पहचान करना
· लूटी गई संपत्तियों, वाहनों, व्यवसायों और बैंक खातों का पता लगाना
· सदस्य देशों को धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, नशीले पदार्थों की तस्करी और पर्यावरणीय अपराधों से जुड़ी संपत्तियों की जानकारी साझा करने में मदद करना
🏢 इंटरपोल क्या है?
इंटरपोल (INTERPOL) यानी इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन एक वैश्विक संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय अपराध से लड़ने के लिए दुनिया के 195 देशों के पुलिस विभागों को एक मंच पर लाता है।
· स्थापना: 1923, वियना
· मुख्यालय: ल्यों (Lyons), फ्रांस
· भारत की सदस्यता: 1949 में प्राप्त हुई
भारत की बड़ी पहल - भारत पोल पोर्टल
भारत ने जांच एजेंसियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए “भारत पोल पोर्टल” लॉन्च किया है, जो इंटरपोल से जुड़े विभिन्न नोटिसेज और अपराधियों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
सिल्वर नोटिस वैश्विक स्तर पर अपराध से जुड़ी संपत्तियों को ट्रैक करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। भारत द्वारा इसका उपयोग न केवल हमारी जांच एजेंसियों की शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी सक्रियता को भी दर्शाता है।
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