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क्या किसी की मौत के बाद भी ITR फाइल करना जरूरी होता है? जानिए पूरी प्रक्रिया आसान भाषा में

क्या आपके किसी करीबी की हाल ही में मृत्यु हुई है और आप सोच रहे हैं कि अब उनका इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना जरूरी है या नहीं?
तो ये लेख आपके लिए बहुत जरूरी है। अक्सर लोग ये सोचते हैं कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी टैक्स जिम्मेदारियां खत्म हो जाती हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि कुछ मामलों में मृत व्यक्ति का ITR फाइल करना कानूनी रूप से जरूरी होता है।

 

क्यों जरूरी होता है ITR फाइल करना मृत्यु के बाद?

👉 अगर मृत व्यक्ति की आय टैक्सेबल लिमिट से अधिक थी
👉 अगर उसका TDS कट चुका है और आपको रिफंड क्लेम करना है
👉 अगर मृत्यु के बाद भी आय आ रही है, जैसे:

  • FD पर ब्याज
  • किराया (Rent)
  • शेयर या म्यूचुअल फंड से डिविडेंड

इन सभी मामलों में ITR फाइल करना अनिवार्य होता है।

 

कौन फाइल करता है मृत व्यक्ति का ITR?

मृत व्यक्ति की ओर से उसका 'लीगल हैर' यानी कानूनी वारिस ITR फाइल करता है। ये लीगल हैर कोई भी हो सकता है:

  • बेटा या बेटी
  • पति या पत्नी
  • या वसीयत में नामित कोई व्यक्ति

 

स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया: मृत्यु के बाद ITR कैसे फाइल करें?

1 लीगल हैर का रजिस्ट्रेशन करें

  • सबसे पहले Income Tax e-filing पोर्टल पर लॉगिन करें।
  • लीगल हैर के रूप में रजिस्ट्रेशन की रिक्वेस्ट डालें।
  • नीचे दिए गए डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें:
    • मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate)
    • मृत व्यक्ति और लीगल हैर का PAN कार्ड
    • आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र
    • वसीयत की कॉपी या लीगल हैर सर्टिफिकेट

2 इनकम की सही कैलकुलेशन करें

  • मृत्यु की तारीख तक जितनी भी आय हुई है, उसका पूरा हिसाब लगाएं।
  • इनकम के अनुसार ITR-1 या ITR-2 फॉर्म चुनें।
  • सभी कटौतियों (जैसे: 80C, 80D आदि) का फायदा उठाएं।

3 रिटर्न फाइल करें और वेरिफाई करें

  • रिटर्न भरने के बाद आधार OTP या Digital Signature से वेरिफाई करें।
  • रिफंड क्लेम करने के लिए सही बैंक डिटेल्स दें।
    बैंक अकाउंट ideally उस पर हो जिसमें लीगल हैर नामांकित या जॉइंट होल्डर हो।

 

कुछ जरूरी सावधानियां

PAN कार्ड को तब तक सरेंडर न करें जब तक सारे टैक्स इश्यूज़ क्लियर न हो जाएं।
रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख वही होती है, जो सामान्य टैक्सपेयर्स के लिए होती है।
ITR फाइल ना करने पर लेट फीस या ब्याज लग सकता है।
कन्फ्यूजन है तो किसी टैक्स एक्सपर्ट या CA की सलाह जरूर लें।

 

मृत्यु के बाद भी यदि कोई टैक्सेबल इनकम थी या रिफंड क्लेम करना है, तो ITR फाइल करना जरूरी हो जाता है। इससे न सिर्फ कानूनी दिक्कतों से बचा जा सकता है, बल्कि अनावश्यक फाइन और ब्याज से भी राहत मिलती है।

सही जानकारी और सही प्रक्रिया से ही आप इस जरूरी काम को आसानी से पूरा कर सकते हैं।


अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें।

ऐसे ही आसान भाषा में टैक्स, फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट से जुड़ी जानकारी के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।

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