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अब भारत का रॉकेट भारत में; ISRO से HAL को मिली रॉकेट बनाने की पूरी तकनीक - अंतरिक्ष जगत में रचा गया इतिहास

HAL


बेंगलुरु से आई इस ऐतिहासिक खबर ने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। पहली बार भारत की एक सरकारी कंपनी को ISRO से रॉकेट बनाने की पूरी तकनीक मिली है। यह कदम भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


HAL को मिला 511 करोड़ का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट

भारत सरकार की प्रतिष्ठित रक्षा क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अब ISRO के स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) बनाने की तकनीक मिल गई है। यह सौदा 511 करोड़ रुपये में हुआ है और इसे IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) ने अधिकृत किया है।

यह पहली बार है जब किसी भारतीय कंपनी को रॉकेट बनाने का पूरा अधिकार और तकनीकी हस्तांतरण (ToT - Transfer of Technology) मिला है। अब HAL न सिर्फ इस रॉकेट को बनाएगा, बल्कि उसे बेचेगा और लॉन्च भी कर सकेगा। इसका मालिकाना हक पूरी तरह HAL के पास होगा।


चयन प्रक्रिया कैसी रही?

IN-SPACe के तकनीकी निदेशक राजीव ज्योति के अनुसार, चयन दो चरणों में किया गया। पहले चरण में 9 में से 6 कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया। फिर तकनीकी और वाणिज्यिक प्रस्तावों की समीक्षा के बाद HAL को चुना गया। HAL की बोली सबसे ऊंची 511 करोड़ रुपये की रही।


सालाना 6 से 10 रॉकेट बनाने का लक्ष्य

HAL ने यह बोली एक स्टैंडअलोन कंपनी के रूप में लगाई थी, जबकि अन्य प्रतियोगी कंसोर्टियम के रूप में आए थे। HAL का लक्ष्य है कि तकनीक हस्तांतरण के बाद सालाना 6 से 10 SSLV बनाए जाएं, जो वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मजबूत करेगा।


दो साल में पूरी होगी तकनीक ट्रांसफर प्रक्रिया

इस पूरे ToT (Transfer of Technology) को पूरा होने में करीब दो साल लगेंगे। शुरुआती दो SSLV रॉकेट ISRO की मदद से बनाए जाएंगे, इसके बाद HAL अपने दम पर निर्माण कर सकेगा। तब HAL को डिज़ाइन में बदलाव और अपने सहयोगी चुनने की पूरी आज़ादी होगी।


भारत को मिलेगी नई स्पेस कंपनी

इस कदम से भारत में नई अंतरिक्ष कंपनी बनने का रास्ता साफ हो गया है। HAL, IN-SPACe, NSIL और ISRO मिलकर एक नया अनुबंध बनाएंगे जिसमें व्यावसायिक हिस्से को NSIL संभालेगा और तकनीकी हिस्से को IN-SPACe देखेगा।

IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका का कहना है कि HAL इस तकनीक को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालेगा। ISRO के साथ पहले भी HAL की मजबूत साझेदारी रही है।


HAL के लिए यह क्या मायने रखता है?

HAL के निदेशक-वित्त बारेन्या सेनापति ने कहा कि यह निर्णय HAL की अंतरिक्ष क्षेत्र में गहराई से प्रवेश की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे कंपनी के बाकी कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि एक नया और मजबूत पोर्टफोलियो जुड़ जाएगा।


क्या भारत की स्पेस इंडस्ट्री में आएगा बड़ा बदलाव?

इस निर्णय के बाद भारत में प्राइवेट स्पेस सेक्टर को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। HAL जैसे अनुभवी संगठन के आने से भारत अब सिर्फ रॉकेट खरीदने वाला नहीं, बल्कि रॉकेट बनाने और बेचने वाला देश भी बन जाएगा। इससे देश में रोजगार, तकनीकी विकास और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

 

🚀 अब सवाल आपकी ओर से:

क्या HAL को रॉकेट तकनीक मिलना भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित होगा?
अपनी राय हमें हिंदी या अंग्रेज़ी में नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं!

 

🔍 इस पोस्ट को शेयर करें, अगर आपको भी लगता है कि भारत अब अंतरिक्ष की दुनिया में अगला बड़ा नाम बनने जा रहा है!

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