बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक तकनीक विकसित की है, जो भविष्य में रक्त के घातक थक्कों (Blood Clots) को बनने से रोक सकती है। इस तकनीक का नाम है नैनोज़ाइम (Nanozyme)।
यह तकनीक विशेष रूप से पल्मोनरी थ्रोम्बोएम्बोलिज़्म (Pulmonary Thromboembolism) जैसी जानलेवा स्थितियों में कारगर साबित हो सकती है, जिसमें फेफड़ों की धमनियों में थक्का जम जाने से रक्त प्रवाह रुक जाता है।
🩸 पल्मोनरी थ्रोम्बोएम्बोलिज़्म क्या है?
यह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें शरीर की गहरी नसों (DVT) से रक्त का थक्का टूटकर फेफड़ों की धमनियों में चला जाता है। इससे निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
· सांस लेने में कठिनाई
· सीने में तेज़ दर्द
· जीवन के लिए खतरा
इसका पता आमतौर पर डुप्लेक्स अल्ट्रासोनोग्राफी से लगाया जाता है और इलाज में ब्लड थिनर दवाएं दी जाती हैं।
⚗️ नैनोज़ाइम तकनीक कैसे काम करती है?
नैनोज़ाइम एक प्रकार के कृत्रिम एंजाइम हैं, जो नैनोस्केल पर काम करते हैं। ये प्राकृतिक एंजाइम की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन इन्हें धातु आधारित नैनोमटेरियल से तैयार किया जाता है।
मुख्य विशेषताएं:
· शरीर में मौजूद ROS (Reactive Oxygen Species) के स्तर को नियंत्रित करते हैं
· प्लेटलेट्स की अधिक सक्रियता को रोकते हैं
· अनियंत्रित इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर से होने वाले साइड रिएक्शन को कम करते हैं
इस तकनीक को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सिर्फ टारगेट की गई जगह पर ही असर करे और अन्य हिस्सों को प्रभावित न करे।
नैनोज़ाइम तकनीक मेडिकल साइंस में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में कई लोगों की जान बचा सकती है। यह नवाचार भारत के वैज्ञानिकों की प्रतिभा और शोध क्षमता को दर्शाता है।
UPSC और PCS परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह एक शानदार करंट अफेयर्स टॉपिक है। इसे साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेक्शन में नोट करना न भूलें।
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