पर्यावरण और जैव विविधता की दुनिया में
एक रोमांचक खोज सामने आई है।
हाल ही में
मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावमूह क्षेत्र में एक दुर्लभ
छिपकली प्रजाति 'कैलोट्स
जोकिंग' (Calotes zolaiking) की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह पहली बार
है जब इस प्रजाति को इस क्षेत्र में देखा गया है।
इस खोज के साथ ही मेघालय में कैलोट्स
प्रजातियों की कुल संख्या अब
6 हो
गई है, जो
राज्य की पर्यावरणीय
विविधता को
और समृद्ध बनाती है।
क्या है कैलोट्स
जोकिंग?
कैलोट्स जोकिंग एक गार्डन लिज़र्ड
(छिपकली) प्रजाति
है, जिसे
पहली बार 2019
में मिज़ोरम के आइजोल जिले में
वैज्ञानिकों ने पहचाना था। यह प्रजाति लगभग
5 इंच
लंबी होती
है और इसके शरीर पर हरे
रंग के कई शेड्स और काले धब्बे
होते हैं।
इसकी खास बात यह है कि इसके शरीर पर झुकी
हुई, सख्त
शल्क संरचना (scaly structure) पाई जाती है, जो न सिर्फ इसे अलग बनाती है, बल्कि शिकारियों से बचाव में
भी मदद करती है।
कहाँ-कहाँ पाई जाती
है यह प्रजाति?
यह छिपकली प्रजाति सिर्फ भारत तक सीमित
नहीं है। इसे श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया और
कुछ प्रशांत
द्वीपों में
भी देखा गया है।
कैलोट्स की प्रमुख
विशेषताएं
- यह प्रजाति
पेड़ों पर रहने वाली (Arboreal)
होती है और खासकर जंगलों
व बगीचों में
पाई जाती है।
- यह
दिन में सक्रिय (diurnal)
रहती है और तेजी से जमीन पर दौड़ने
में सक्षम होती है।
- खतरा महसूस होने पर यह अपने रंग बदलने की
क्षमता रखती है, जिससे
यह वातावरण में खुद को छिपा सकती है।
- यह
समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु में
भी आसानी से खुद को ढाल लेती है।
भारत में कैलोट्स की
स्थिति
भारत में कुल 14 कैलोट्स
प्रजातियां पाई
जाती हैं, जिनमें
से 9
प्रजातियां पूर्वोत्तर भारत में
ही मौजूद हैं। यह न सिर्फ जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में
भी इनकी बड़ी भूमिका होती है।
कैलोट्स जोकिंग की मेघालय में उपस्थिति एक
महत्वपूर्ण खोज है, जो
इस क्षेत्र की जैव
विविधता और पर्यावरणीय संवेदनशीलता
को दर्शाती है। ऐसी खोजें यह साबित करती हैं कि भारत के वन
क्षेत्रों में अब भी अविज्ञात
और दुर्लभ जीवों का
अस्तित्व है, जिन्हें
पहचानना और संरक्षित करना समय की मांग है।
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