🏦 RBI के नए नियम: गोल्ड लोन पर अब सख्ती बढ़ी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में गोल्ड लोन को लेकर कुछ नए और
सख्त नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। इन नियमों को लेकर सरकार और आम लोगों के बीच
काफी चर्चा हो रही है। खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोग, जो अक्सर आपातकाल में गोल्ड लोन का सहारा लेते हैं,
उनके लिए ये बदलाव मायने रखते हैं।
वित्त मंत्रालय ने RBI
को सुझाव दिया है कि ₹2 लाख तक के लोन पर नियमों को थोड़ा आसान किया
जाए ताकि आम जनता पर अनावश्यक बोझ न पड़े।
💡 गोल्ड लोन में 'Loan
to Value Ratio' (LTV) क्या
होता है?
जब आप अपने सोने को बैंक में गिरवी
रखते हैं, तो बैंक उसकी वैल्यू
के अनुपात में आपको लोन देता है। इसी अनुपात को Loan
to Value कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
अगर आपके पास ₹1,000 मूल्य का सोना है, तो RBI के
नए नियमों के अनुसार आपको अधिकतम ₹750 का लोन ही मिलेगा (LTV = 75%)।
यदि LTV घटकर 50% हो जाए, तो आपको सिर्फ ₹500
का लोन मिलेगा।
अगर बढ़ाकर 90% कर दिया जाए, तो ₹900 तक का लोन मिल
सकता है।
📈 RBI इस अनुपात को आर्थिक हालात के अनुसार घटा या बढ़ा सकता है ताकि मनी सप्लाई को
कंट्रोल किया जा सके।
⚖️ नए नियमों की प्रमुख बातें (2025 ड्राफ्ट के अनुसार)
✅ LTV लिमिट:
अधिकतम 75%
✅ गोल्ड की शुद्धता जांच:
केवल प्रमाणित ज्वैलर या संस्था कर सकती
है
✅ उधारकर्ता की उपस्थिति:
गोल्ड लोन लेते समय जरूरी
✅ गोल्ड की कीमत:
पिछले 30 दिनों के औसत या पिछले दिन के भाव में से जो कम हो,
उसके आधार पर तय
✅ स्वामित्व का प्रमाण:
पर्ची या एफिडेविट जरूरी
✅ लोन श्रेणियां:
·
उपभोग (Consumption)
·
आय सृजन
(Income Generation)
✅ बुलेट लोन:
केवल उपभोग के लिए, अधिकतम अवधि 12 महीने
✅ एक गोल्ड = एक लोन:
एक ही गोल्ड से दो प्रकार के लोन नहीं
लिए जा सकते
✅ अधिकतम वजन की सीमा:
·
आभूषण: 1
किग्रा
·
सोने के
सिक्के: 50 ग्राम
·
चांदी
के सिक्के: 500 ग्राम
✅ नया लोन तभी मिलेगा जब
पुराना चुकाया जाए
✅ सोना वापस न देने पर बैंक पर ₹5,000
प्रतिदिन जुर्माना
🔍 नए नियम क्यों लाए
गए?
💰 बढ़ती सोने की
कीमत के कारण गोल्ड लोन में डिफॉल्ट की संभावना बढ़ी
📉 दिसंबर 2024 तक बैंकों का NPA ₹2,400 करोड़ पहुंच चुका था
📊 NBFCs का NPA भी तेजी से बढ़ा है (₹4,784 करोड़ तक)
🔐 स्पष्ट नियमों की कमी से
जोखिम बढ़ता है
🎯 लक्ष्य:
डिफॉल्ट और नीलामी की समस्या को कम करना
⚠️ इन नियमों का क्या प्रभाव पड़ेगा?
🔸 लचीलापन खत्म:
अब सभी संस्थाओं को एक जैसे नियम फॉलो
करने होंगे
🔸 डॉक्यूमेंटेशन बढ़ा:
जिससे प्रोसेसिंग समय और खर्च दोनों
बढ़ेगा
🔸 ऑपरेटिंग कॉस्ट
बढ़ेगी, जिसका असर
ब्याज दरों पर पड़ सकता है
🔸 छोटे NBFCs प्रभावित होंगे, जिससे सेक्टर में कंसोलिडेशन बढ़ेगा
🔸 ग्रामीण वर्ग पर असर:
कड़े नियमों के कारण लोग फिर से
साहूकारों की ओर जा सकते हैं
📝 समाधान क्या हो
सकता है?
गोल्ड लोन भारत के ग्रामीण और
अर्धशहरी क्षेत्र के लिए आर्थिक जीवन रेखा है। इसलिए जरूरी है कि:
🔹 छोटे कर्ज (₹2
लाख तक) के लिए नियम
लचीले हों
🔹 बड़े लोन पर सख्ती हो,
पर गरीब वर्ग को राहत दी जाए
🔹 ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे
लोगों को नियमों की जानकारी सरल भाषा में दी जाए
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