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भारत की पहली स्वदेशी थ्रोम्बेक्टॉमी डिवाइस: चिकित्सा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने भारत की पहली स्वदेशी थ्रोम्बेक्टॉमी डिवाइस को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह पहल चिकित्सा उपकरणों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

 

🧬 क्या है थ्रोम्बेक्टॉमी डिवाइस?

थ्रोम्बेक्टॉमी एक मेडिकल प्रोसीजर है, जिसमें रक्त वाहिकाओं में बने थक्कों (थ्रोम्बस) को हटाया जाता है, ताकि मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह पुनः शुरू किया जा सके। यह विशेष रूप से इस्केमिक स्ट्रोक के इलाज में उपयोगी है।

⏱️ यह प्रक्रिया समय-संवेदनशील होती है और इसे स्ट्रोक के कुछ घंटों के भीतर किया जाना आवश्यक होता है, जिससे जीवन को खतरा कम हो सके।

🩺 दो प्रमुख प्रकार:

  • सर्जिकल थ्रोम्बेक्टॉमी
  • परक्यूटेनियस थ्रोम्बेक्टॉमी (Percutaneous)

 

🏭 किसे मिली है यह जिम्मेदारी?

इस प्रोजेक्ट को मैसूर स्थित S3V Vascular Technologies को सौंपा गया है। यह कंपनी चेन्नई के उरगादम मेडिकल डिवाइसेज पार्क में एक अत्याधुनिक निर्माण इकाई स्थापित कर रही है।

इसका उद्देश्य:

  • भारत में मेड-इन-इंडिया थ्रोम्बेक्टॉमी डिवाइसेज का निर्माण
  • आयात पर निर्भरता को कम करना
  • आयुष्मान भारत जैसी सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में इन उपकरणों को शामिल करना

 

🏢 प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) क्या है?

  • स्थापना: 1996
  • उद्देश्य: स्वदेशी और आयातित टेक्नोलॉजी का विकास और व्यावसायीकरण
  • संरचना: 11 सदस्यों वाला बोर्ड

TDB ने Global Innovation & Technology Alliance (GITA) जैसी PPP मॉडल कंपनियों का भी समर्थन किया है।

 

📈 भारत में स्ट्रोक के बढ़ते मामले

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में 12.5 लाख से अधिक स्ट्रोक के मामले सामने आए, जो कि 1990 के मुकाबले 51% अधिक हैं। यह आंकड़ा इस बात की गंभीरता को दर्शाता है कि देश में ऐसे डिवाइसेज की कितनी जरूरत है।

 

 

भारत की यह पहल न केवल चिकित्सा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि स्टार्टअप्स और इनोवेशन को भी बढ़ावा देगी। मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह एक Game Changer साबित हो सकती है।

 

 

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