तमिलनाडु सरकार ने कावेरी नदी डेल्टा क्षेत्र में पाए जाने वाले चिकनी-चमड़ी वाले ऊदबिलाव (Smooth-coated Otter) की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक विशेष योजना की शुरुआत की है। यह फैसला
ऊदबिलावों के प्राकृतिक आवासों के तेजी से नष्ट होने और मानव-वन्यजीव संघर्ष के
बढ़ते मामलों को देखते हुए लिया गया है।
क्यों जरूरी हो गया संरक्षण?
पिछले कुछ वर्षों में कावेरी डेल्टा सहित कई जल क्षेत्रों में ऊदबिलावों की
संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार बांधों का निर्माण, जल प्रदूषण, प्लास्टिक कचरा, कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग और मछलियों की कमी इनके अस्तित्व के लिए सबसे बड़े खतरे बन चुके हैं।
क्या होगा इस नई योजना में?
इस संरक्षण पहल के तहत सरकार और वन विभाग कई स्तरों पर काम करेगा। योजना के
प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- ऊदबिलावों की वर्तमान आबादी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण
- कावेरी डेल्टा में उनके आवासों की पहचान और मैपिंग
- प्रदूषण, बांधों और रासायनिक तत्वों के प्रभाव का अध्ययन
- नदी किनारों पर सरकंडे लगाकर प्राकृतिक आवासों का पुनर्स्थापन
- मछलियों की निर्बाध आवाजाही के लिए फिश लैडर की व्यवस्था
पारिस्थितिकी तंत्र में ऊदबिलावों
की अहम भूमिका
चिकनी-चमड़ी वाले ऊदबिलाव आमतौर पर 4 से 12 के समूहों में रहते हैं और आपस में सीटी व चहचहाहट
जैसी आवाज़ों के जरिए संवाद करते हैं। ये मुख्य रूप से मछलियों का शिकार करते हैं, जिससे मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
अंतरराष्ट्रीय और कानूनी संरक्षण
ऊदबिलावों की गंभीर स्थिति को देखते हुए
- IUCN ने इन्हें Vulnerable यानी कमजोर श्रेणी में रखा है
- भारत में यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत पूर्ण रूप से संरक्षित है
आगे क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह योजना ज़मीनी स्तर पर सही ढंग से लागू होती
है, तो कावेरी डेल्टा में ऊदबिलावों की आबादी को दोबारा बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, यह पहल नदी संरक्षण और जैव विविधता बचाने की दिशा में एक मॉडल भी बन सकती है।
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