श्रीनगर: कश्मीर घाटी में सर्दियों का सबसे कठोर दौर चिल्लाई कलां 21 दिसंबर से शुरू हो गया है, जो 30 जनवरी तक 40 दिनों तक जारी रहेगा। इस अवधि के दौरान घाटी में भीषण ठंड, भारी बर्फबारी और शून्य से नीचे तापमान रहने की संभावना है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है।
❄️ क्या है चिल्लाई
कलां?
चिल्लाई कलां शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है भयंकर शीत ऋतु। यह कश्मीर की सर्दियों का सबसे ठंडा
और चुनौतीपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान न्यूनतम तापमान कई इलाकों में माइनस
में चला जाता है और ठंडी हवाओं के कारण ठिठुरन बढ़ जाती है।
❄️ चिल्लाई खुर्द
और चिल्लाई बच्चा भी होंगे शामिल
चिल्लाई कलां के बाद सर्दियों की तीव्रता धीरे-धीरे कम होती है। इसके तहत:
- चिल्लाई-खुर्द: 31 जनवरी से 19 फरवरी तक (20 दिन)
- चिल्लाई-बच्चा: 20 फरवरी से 2 मार्च तक (10 दिन)
इन दोनों चरणों में ठंड का असर बना रहता है, लेकिन तीव्रता
में कमी देखी जाती है।
❄️ बर्फबारी से जल
संसाधनों को मिलेगा लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, चिल्लाई कलां के दौरान होने वाली भारी हिमपात कश्मीर के जल संसाधनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस समय जमा हुई बर्फ
गर्मियों में पिघलकर:
- नदियों और झीलों को पानी देती है
- जलाशयों को भरती है
- कृषि और पेयजल आपूर्ति को मजबूत करती है
❄️ प्रशासन अलर्ट, लोगों को सावधानी बरतने की सलाह
मौसम विभाग ने चिल्लाई कलां के दौरान तेज शीत लहर और
बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने, गर्म कपड़े पहनने और मौसम से जुड़ी एडवाइजरी का पालन करने की अपील की है।
❄️ पर्यटन और
जनजीवन पर असर
भीषण ठंड के कारण कई ऊँचाई वाले इलाकों में सड़क संपर्क प्रभावित हो सकता है, जबकि बर्फ से ढके पहाड़ और मैदान पर्यटकों के लिए
आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। गुलमर्ग और पहलगाम
जैसे इलाकों में सर्दी पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।
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