🌞 सस्ती होती सौर ऊर्जा: एक नई क्रांति की शुरुआत
2010 में जहाँ सोलर पैनल (फोटोवोल्टिक मॉड्यूल) की कीमत ₹200 प्रति वाट थी, वहीं 2024 में यह घटकर मात्र ₹9 प्रति वाट हो गई है। यानी पिछले 14 वर्षों में करीब 95% की गिरावट! यह बदलाव सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
🔋 बैटरियों की तकनीक में भी जबरदस्त सुधार
सौर ऊर्जा के साथ-साथ बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2020 में एक बैटरी यूनिट की कीमत ₹13,860 थी, जो 2024 में घटकर ₹8,388 हो गई है। साथ ही, नई बैटरियाँ अब 15,000 बार चार्ज-डिस्चार्ज की जा सकती हैं। इसका मतलब, अब रात के समय भी सौर ऊर्जा का उपयोग संभव है!
🔁 सोलर पावर बनाम पारंपरिक बिजली: कौन बेहतर?
पहलू |
कोयला संयंत्र |
सोलर + स्टोरेज सिस्टम |
लागत |
अधिक |
कम |
निर्माण का समय |
कई वर्ष |
कुछ माह |
प्रदूषण स्तर |
उच्च |
शून्य उत्सर्जन |
एफिशिएंसी |
~85% |
~95-100% |
साफ़ है कि सौर ऊर्जा केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे विकास मॉडल के लिए भी ज्यादा उपयुक्त है।
📈 भारत में सौर ऊर्जा की ज़रूरत क्यों?
भारत की भौगोलिक संरचना और जलवायु इसे सौर ऊर्जा के लिए एक आदर्श देश बनाती है:
· साल भर में लगभग 300 दिन सूर्य प्रकाश उपलब्ध।
· बड़ी मात्रा में खाली ज़मीन।
· ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में बिजली पहुँचाने का आसान उपाय।
· ऊर्जा आत्मनिर्भरता और विदेशी तेल पर निर्भरता में कमी।
भारत ने COP26 के तहत 2030 तक:
· 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता का लक्ष्य रखा है।
· 50% बिजली उत्पादन नॉन-फॉसिल स्रोतों से प्राप्त करने का भी संकल्प किया है।
🚧 लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं…
1. जमीन की ज़रूरत: परमाणु ऊर्जा की तुलना में सौर पैनल को 300 गुना ज़्यादा भूमि चाहिए।
2. ग्रिड सिस्टम की कमी: उत्पादित बिजली को लोगों तक पहुँचाने के लिए मज़बूत ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी।
3. बैटरियों में खनिज दोहन: लिथियम, कोबाल्ट जैसे तत्वों के दोहन से पर्यावरणीय खतरा।
4. घरेलू उत्पादन में कमी: भारत अभी भी सौर पैनलों और बैटरियों के लिए आयात पर निर्भर है।
5. नीतिगत भिन्नता: राज्यों में अलग-अलग पॉलिसियाँ निवेशकों के लिए अनिश्चितता पैदा करती हैं।
🛤️ आगे की राह: क्या हो सकता है समाधान?
· स्मार्ट ग्रिड और माइक्रो ग्रिड को बढ़ावा देना, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
· जल स्रोतों पर फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाकर ज़मीन की बचत।
· समान और सरल नीतियाँ केंद्र और राज्यों के बीच।
· रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी विकसित करना ताकि पुरानी बैटरियों और पैनलों से कचरा न बने।
· मेक इन इंडिया को सौर क्षेत्र में प्राथमिकता देना, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा।
भारत और सौर ऊर्जा - एक उज्ज्वल साझेदारी
भारत अब केवल सोलर एनर्जी को अपनाने की बात नहीं कर रहा, बल्कि वह इसे अपने भविष्य की ऊर्जा रीढ़ बना रहा है। लागत में कमी, तकनीकी उन्नति और सरकार की सशक्त योजनाएं मिलकर भारत को एक सौर ऊर्जा महाशक्ति की ओर अग्रसर कर रही हैं।
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