आज के समय में डिजिटल दुनिया बेहद तेज़ी
से आगे बढ़ रही है, और
इसी के साथ वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA)
जैसे क्रिप्टोकरेंसी,
NFT, और DeFi
का चलन भी बढ़ता जा रहा है। खास बात ये है कि भारत
लगातार दूसरे साल ‘जियोग्राफी
ऑफ क्रिप्टो रिपोर्ट 2024’ में सबसे आगे निकला है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब ग्लोबल लेवल पर क्रिप्टो अपनाने वाला
टॉप देश बन
चुका है। आइए जानते हैं इस विषय को विस्तार से।
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भारत और क्रिप्टो अपनाने का ट्रेंड:
- भारत के खुदरा निवेशकों ने अब तक लगभग $6.6 बिलियन (लगभग ₹55,000 करोड़) का
निवेश क्रिप्टो एसेट्स में किया है।
- रिपोर्ट के अनुसार,
2030 तक यह इंडस्ट्री
8 लाख
से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है।
- भारत में वेब3
डेवलपर्स की संख्या भी तेज़ी से
बढ़ रही है, जिससे
यह क्षेत्र और मजबूत हो रहा है।
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VDA यानी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स क्या हैं?
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स ऐसी
डिजिटल संपत्तियाँ हैं जो किसी
कोड, टोकन
या अन्य डिजिटल स्वरूप
में होती हैं। ये
भारतीय या विदेशी मुद्रा नहीं होतीं, लेकिन इनका उपयोग मूल्य के आदान-प्रदान, निवेश और ट्रांजैक्शन के
लिए किया जाता है।
इनमें शामिल हैं:
- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
- NFTs (Non-Fungible Tokens)
- DeFi (Decentralized Finance)
इन एसेट्स को अब आयकर अधिनियम 1961 की धारा 2(47A) के
अंतर्गत परिभाषित किया गया है।
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भारत में VDA का नियमन कैसे होता
है?
- VDA से जुड़ी
गतिविधियाँ अब मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) 2002
के दायरे में आती हैं।
- सभी वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) को FIU-IND
(Financial Intelligence Unit - India) में
रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
- यह सिस्टम अमेरिका की FINCEN की तर्ज पर
कार्य करता है, और
संदेहास्पद लेनदेन पर नज़र रखता है।
🔐
साइबर सुरक्षा और वैश्विक चुनौती:
- 2024 में एक क्रिप्टो
एक्सचेंज हैक में $230 मिलियन (लगभग ₹1,900
करोड़) की चोरी ने पूरी
इंडस्ट्री को हिला दिया।
- इसके बाद साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और बीमा प्रणाली
लागू करने की दिशा में तेजी देखी गई।
- अब ज़रूरत है एक
वैश्विक स्तर पर समन्वित और
रिस्क-आधारित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
की।
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