नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब भारत
की टैक्स प्रणाली को और सरल बनाया जाएगा। उन्होंने आगामी GST सुधारों का
जिक्र करते हुए कहा कि इसका मकसद
टैक्स का बोझ कम करना,
पारदर्शिता बढ़ाना
और साधारण
लोगों को राहत देना है।
🔍
क्या है नया प्रस्ताव?
केंद्र सरकार ने GST प्रणाली को सरल बनाने के लिए बड़े
बदलावों का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में भारत में चार मुख्य GST टैक्स स्लैब हैं: 5%, 12%, 18% और
28%।
लेकिन अब यह ढांचा और सरल होने वाला है।
👉 प्रस्तावित बदलावों के अनुसार:
- अब केवल
दो टैक्स स्लैब रहेंगे – 5% और 18%
- 12% और 28% स्लैब को खत्म करने
का प्रस्ताव
- कुछ वस्तुओं पर
1% से
कम रियायती दरें
लागू की जाएंगी
- हानिकारक वस्तुओं पर 40% टैक्स लागू
किया जाएगा (जैसे तंबाकू, गुटखा)
- वाइट गुड्स (AC,
फ्रिज, आदि) अब
28% से
घटाकर 18% स्लैब में
लाए जाएंगे
- सामान्य उपयोग की वस्तुएं जैसे साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू आदि भी अब
सस्ती होंगी
📊
बदलावों से क्या होगा असर?
✅ टैक्स बोझ में कमी:
✅ उपभोग बढ़ेगा - बिक्री बढ़ेगी:
✅ टैक्स चोरी में कमी:
✅ लंबे समय में सरकार को फायदा:
📌 टैक्स स्लैब का योगदान (वर्तमान आंकड़े):
- 18% स्लैब: 67% राजस्व
- 28% स्लैब: 11% राजस्व
- 12% स्लैब: 5% राजस्व
- 5% स्लैब: 7% राजस्व🔢 औसत GST दर: लगभग 11.6% (RBI के अनुसार)
🧾 GST का मूल स्वरूप - सरल भाषा में समझिए:
- GST एक
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
है।
- यह
"एक राष्ट्र,
एक कर" की
अवधारणा पर आधारित है।
- यह एक
मल्टीस्टेज टैक्स है
- निर्माण
से लेकर उपभोक्ता तक।
- GST तीन प्रमुख प्रकार में लागू होता है:🔹 CGST (केंद्र सरकार)🔹 SGST (राज्य सरकार)🔹 IGST (राज्यों के बीच)
🏛️
GST परिषद (GST Council) क्या है?
- एक
संवैधानिक निकाय (Constitutional Body),
अनुच्छेद 279A के तहत।
- अध्यक्ष:
केंद्रीय वित्त मंत्री
- सदस्य:
राज्य सरकारों के वित्त मंत्री व
अन्य प्रतिनिधि
- यह परिषद तय करती है कि✅ किन वस्तुओं पर टैक्स लगेगा✅ किन पर छूट मिलेगी✅ टैक्स दरें क्या होंगी✅ विशेष दरें (आपदा/विशेष राज्यों के लिए) लागू होंगी या नहीं
📈
सरकार की रणनीति क्या है?
सरकार मानती है कि टैक्स स्लैब को सरल
और कम करके:
- आम नागरिक को राहत मिलेगी
- व्यापारियों को अनुपालन में आसानी होगी
- टैक्स बेस बढ़ेगा
- टैक्स चोरी कम होगी
- दीर्घकालिक रूप में राजस्व में
वृद्धि होगी
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