सोचिए! जिस रेलवे ट्रैक पर रोज़ाना ट्रेनें दौड़ती हैं, अब वहीं से बिजली भी पैदा होगी। जी हां, यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि अब ये सपना हकीकत बन चुका है। उत्तर प्रदेश के बनारस रेल इंजन कारखाना (BLW) ने एक नई पहल की शुरुआत की है जिसमें रेलवे ट्रैक के बीचोंबीच सोलर पैनल लगाए गए हैं।
रेल मंत्रालय ने इस परियोजना को रेलवे के इतिहास में मील का पत्थर बताया है। इस इनोवेटिव आइडिया से न केवल रेलवे को क्लीन एनर्जी मिलेगी, बल्कि इससे बिजली की बचत, एनर्जी कॉस्ट में कमी और पर्यावरण संरक्षण भी संभव होगा।
✅ क्या है खास इस प्रोजेक्ट में?
- 🚉 रेलवे ट्रैक के बीच लगे सोलर पैनल:BLW ने एक 70 मीटर लंबे ट्रैक पर 28 सोलर पैनल लगाए हैं, जो प्रतिदिन लगभग 70 यूनिट बिजली पैदा कर रहे हैं।
- 🌞 क्लीन और रिन्यूएबल एनर्जी की दिशा में कदम:यह प्रोजेक्ट भारत में पहली बार पायलट के रूप में शुरू किया गया है और इसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है।
- 🛠️ आसानी से हटाए और लगाए जा सकने वाले पैनल:जरूरत पड़ने पर इन सोलर पैनलों को आसानी से हटाया जा सकता है और ऊपर से ट्रेन गुजरने पर कोई नुकसान नहीं होता।
- 🧼 आसान रख-रखाव:छत की तुलना में इन सोलर पैनलों की सफाई और मेंटेनेंस बेहद आसान है। भविष्य में इसे पूरी तरह मैकेनाइज भी किया जा सकता है।
🇮🇳 भविष्य की तैयारी: देशभर में होगा विस्तार
रेलवे का लक्ष्य है कि देशभर के सभी यार्ड्स और सुरक्षित ट्रैक हिस्सों में इस तकनीक को अपनाया जाए। आने वाले समय में इसे भारत के 1.25 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे नेटवर्क पर लागू करने की योजना है।
इस प्रोजेक्ट की एक बड़ी खासियत यह भी है कि इसके लिए अतिरिक्त ज़मीन अधिग्रहण की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि ये पैनल सीधे मौजूदा ट्रैक के बीच लगाए जा सकते हैं।
🌍 पर्यावरण को मिलेगा फायदा
यह पहल ग्रीन एनर्जी की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रेलवे को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ ये कदम कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में भी मदद करेगा।
बनारस से शुरू हुआ यह अभिनव सोलर प्रोजेक्ट आने वाले समय में पूरे देश के रेलवे सिस्टम को बदलने की ताकत रखता है। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो यह भारत को दुनिया में रेलवे के सबसे ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में स्थापित कर सकता है।
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