महान इन्सान बनने की चार विशेष आवश्यकताएँ
1. वाणी में हमेशा मिठास रखो,
2. दिल में प्रसन्नता,
3. मन में पवित्रता,
4. और व्यवहार में कुशलता।
● इन चारों से बहस कभी मत करो
1. मूर्ख आदमी से,
2. किसी पागल से,
3. अपने गुरु से और,
4. अपने माता पिता से
● चार बातों में शर्म कभी नही करनी चाहिए :
1. पुराने कपड़े पहनने में,
2. गरीब साथियों का साथ निभाने में
3. बूढ़ें माता-पिता की सेवा में,
4. और सादे रहन-सहन में
● चार दुर्लभ गुण जो हम सब में होने ज़रूरी हैं
1. धन के साथ पवित्रता,
2. दान के साथ विनयशीलता
3. वीरता के साथ दया,
4. अधिकार के साथ सेवा भाव।
● इन चारों से ये चार भाग जाते हैं :
1. सतगुरु के दर्शन से दरिद्रता,
2. भगवान का नाम वाणी से जपने से पाप,
3. जागते रहने से चोर,
4. मौन रहने से क्रोध
रिश्ते बनाना इतना आसान है, जैसे मिट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना।
लेकिन
निभाना उतना कठिन है जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना।
1. वाणी में हमेशा मिठास रखो,
2. दिल में प्रसन्नता,
3. मन में पवित्रता,
4. और व्यवहार में कुशलता।
● इन चारों से बहस कभी मत करो
1. मूर्ख आदमी से,
2. किसी पागल से,
3. अपने गुरु से और,
4. अपने माता पिता से
● चार बातों में शर्म कभी नही करनी चाहिए :
1. पुराने कपड़े पहनने में,
2. गरीब साथियों का साथ निभाने में
3. बूढ़ें माता-पिता की सेवा में,
4. और सादे रहन-सहन में
● चार दुर्लभ गुण जो हम सब में होने ज़रूरी हैं
1. धन के साथ पवित्रता,
2. दान के साथ विनयशीलता
3. वीरता के साथ दया,
4. अधिकार के साथ सेवा भाव।
● इन चारों से ये चार भाग जाते हैं :
1. सतगुरु के दर्शन से दरिद्रता,
2. भगवान का नाम वाणी से जपने से पाप,
3. जागते रहने से चोर,
4. मौन रहने से क्रोध
रिश्ते बनाना इतना आसान है, जैसे मिट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना।
लेकिन
निभाना उतना कठिन है जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना।
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