प्रभु राम का वही नाम जिसका गुणगान बाबा तुलसी ने ‘रामचरित’ में किया है। बड़ी महिमा बखानी है उन्होंने राम के नाम की। अनेकों चमत्कार गिनाये हैं उन्होंने रामनाम के। इस पवित्र प्रभु नाम का स्मरण करते ही सारे कार्य अपने ही आप सिद्ध हो जाते हैं। रामनाम के सहारे बहरे सुनने लगते हैं, गूँगे बोलने लगते हैं और लूले-लँगड़े-अपाहिज दुर्गम पर्वत शिखरों पर चढ़ जाते हैं। महा असम्भव को सहज सम्भव करने वाला है यह राम का नाम। गोसाँई बाबा के इस कथन में केवल शास्त्र वचनों की पुनरुक्ति भर नहीं है, बल्कि उनका अपना अनुभव भी समाया है। वह कहते हैं-
नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। जो सुमिरत भयो भाँगते तुलसी तुलसीदासु॥
कलियुग में राम का नाम मनचाहा फल देने वाला कल्पतरु है। सब तरह के कल्याण का घर है। जिसके स्मरण भर से भाँग की तरह से निकृष्ट तुलसीदास तुलसी की तरह पवित्र और पूजनीय हो गया।
रामनाम की महिमा यूँ तो हर युग में है। पर कलियुग में तो कुछ विशेष ही है। जप-तप, योग के सारे पराक्रम रामनाम में समाये हैं। प्रभु श्रीराम जैसा दाता कभी कोई दूसरा नहीं। उन्होंने गिद्ध जटायु, आदिवासी स्त्री शबरी को वह सब दे डाला, जो योग साधना करने वाले ऋषि-मुनि जन्मों-जन्मों में नहीं पाते। अमिट और अपार है प्रभु राम के नाम का प्रभाव। इसी के प्रभाव से तो वनवासी बाल्मीकि महर्षि हो गये। अपने गोसाँई बाबा तुलसीदास को भी कौन पहचान पाता राम के नाम बिना। रामनाम की कथा ने ही तो उन्हें महाकवि के साथ जन कवि बना दिया। वह युगातीत और कालजयी हो गये। राम नाम की ही भाँति तुलसी जी का नाम भी मृत्युञ्जय बन गया है।
।।जय श्री राम।।
।।राम राम जी।।
नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। जो सुमिरत भयो भाँगते तुलसी तुलसीदासु॥
कलियुग में राम का नाम मनचाहा फल देने वाला कल्पतरु है। सब तरह के कल्याण का घर है। जिसके स्मरण भर से भाँग की तरह से निकृष्ट तुलसीदास तुलसी की तरह पवित्र और पूजनीय हो गया।
रामनाम की महिमा यूँ तो हर युग में है। पर कलियुग में तो कुछ विशेष ही है। जप-तप, योग के सारे पराक्रम रामनाम में समाये हैं। प्रभु श्रीराम जैसा दाता कभी कोई दूसरा नहीं। उन्होंने गिद्ध जटायु, आदिवासी स्त्री शबरी को वह सब दे डाला, जो योग साधना करने वाले ऋषि-मुनि जन्मों-जन्मों में नहीं पाते। अमिट और अपार है प्रभु राम के नाम का प्रभाव। इसी के प्रभाव से तो वनवासी बाल्मीकि महर्षि हो गये। अपने गोसाँई बाबा तुलसीदास को भी कौन पहचान पाता राम के नाम बिना। रामनाम की कथा ने ही तो उन्हें महाकवि के साथ जन कवि बना दिया। वह युगातीत और कालजयी हो गये। राम नाम की ही भाँति तुलसी जी का नाम भी मृत्युञ्जय बन गया है।
।।जय श्री राम।।
।।राम राम जी।।
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