एक बार कुछ बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे। वहाँ से एक संत जा रहे थे तभी एक बच्चे ने महात्मा से सवाल किया....
गुरुजी इस फुटबॉल ने एसे कैसे कर्म किए है जो उसे इतनी लाते खानी पड रही है ?
संत ने बहुत सुंदर जवाब दिया....
"बेटा एक बात बता अगर इस फूटबाल में हवा बिलकुल ही नही भरी होती तो क्या तुम लातें मार कर खेलते ? बेटे ये इसके कर्म नही किंतु इसमे हवा भरी है इसलिए इसे इतनी लाते खानी पड रही है"
इसी तरह मनुष्य भी जब अहंकार रूपी हवा से भर जाता है, तब उसे भी एक दिन कर्म रूपी लातें खानी पडती है
गुरुजी इस फुटबॉल ने एसे कैसे कर्म किए है जो उसे इतनी लाते खानी पड रही है ?
संत ने बहुत सुंदर जवाब दिया....
"बेटा एक बात बता अगर इस फूटबाल में हवा बिलकुल ही नही भरी होती तो क्या तुम लातें मार कर खेलते ? बेटे ये इसके कर्म नही किंतु इसमे हवा भरी है इसलिए इसे इतनी लाते खानी पड रही है"
इसी तरह मनुष्य भी जब अहंकार रूपी हवा से भर जाता है, तब उसे भी एक दिन कर्म रूपी लातें खानी पडती है
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