अवगुणों की खान है हम कलयुगी मानव बाबा हम पर अपनी कृपा करो
मांस मदिरा को हमेशा के लिए दिल से त्याग दो और श्री बालाजी के चरणों को पकड़ लो इसी में ही कल्याण है
जिसका मन वश में है, जो राग-द्वेष से रहित है, वही स्थायी प्रसन्नता को प्राप्त करता है।
इस संसार में दो प्रकार के मनुष्य हैं। एक तो दैवीय प्रवित्ति वाले, दूसरे आसुरी प्रवित्ति वाले। इसी तरह से हमारे मन में 2 तरह का चिंतन या सोच चलती है- सकारात्मक एवं नकारात्मक। सकारात्मक सोच वाले खुश और नकारात्मक सोच वाले दुखी देखे जाते हैं।
मांस मदिरा को हमेशा के लिए दिल से त्याग दो और श्री बालाजी के चरणों को पकड़ लो इसी में ही कल्याण है
जिसका मन वश में है, जो राग-द्वेष से रहित है, वही स्थायी प्रसन्नता को प्राप्त करता है।
इस संसार में दो प्रकार के मनुष्य हैं। एक तो दैवीय प्रवित्ति वाले, दूसरे आसुरी प्रवित्ति वाले। इसी तरह से हमारे मन में 2 तरह का चिंतन या सोच चलती है- सकारात्मक एवं नकारात्मक। सकारात्मक सोच वाले खुश और नकारात्मक सोच वाले दुखी देखे जाते हैं।
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