फाल्गुन, हिंदू कैलेंडर का आखिरी महीना शुरू हो गया है और मार्च अंग्रेजी महीने का तीसरा महीना है, फाल्गुन महीने की दूसरी तारीख से शुरू होता है। सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। मार्च का यह महीना त्योहारों के लिहाज से बेहद खास है क्योंकि माता जानकी जी की जयंती, विजया एकादशी से लेकर महाशिवरात्रि और होली जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार मार्च के महीने में आते हैं। आइए हम आपको मार्च महीने में व्रत की तिथि महत्व और त्योहारों के बारे में बताते हैं ताकि आप इन त्योहारों की तैयारी पहले से शुरू कर सकें।
2 मार्च, मंगलवार- संकष्टी चतुर्थी (भगवान श्री गणेश जी का दिन कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। विघ्नहर्ता भगवान् श्री गणेश जी की पूजा अर्चना के साथ की जाती है।
6 मार्च, शनिवार- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन माता जानकी जी की जयंती मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता सीता जी प्रकट हुई थी ।
9 मार्च, मंगलवार- विजया एकादशी और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। एकादशी का दिन भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित होता है और माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सभी कार्य सफल होंगे। इसलिए इसदिन को विजया एकादशी कहा जाता है।
10 मार्च, बुधवार- प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। यह व्रत भगवान श्री शिव जी को समर्पित है और इस दिन व्रत रखकर, प्रदोष समय के दौरान भगवान् शिव जी की पूजा की जाती है
11 मार्च, गुरुवार- महाशिवरात्रि पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव जी और देवी पार्वती जी का विवाह हुआ था। इसदिन भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करने के साथ व्रत भी रखा जाता है।
13 मार्च, शनिवार- फाल्गुन अमावस्या पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन पितरों की शांति के लिए नदियों में स्नान किया जाता है और फिर शांति के लिए दान किया जाता है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि यह शनिवार को पड़ता है।
14 मार्च, रविवार- मीन संक्रांति इस दिन, सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेगा और अगले एक महीने तक इसी राशि में रहता है। इस समय को खरमास कहा जाता है और इस दौरान मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध होता है।
15 मार्च, सोमवार- फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को फुलेरा दूज के रूप में जाना जाता है। यह दिन इतना शुभ होता है कि इसे अबूझ मुहूर्त के रूप में देखा जाता है और इस दिन बिना किसी महूर्त निकाले शुभ कार्य हो सकता है।
17 मार्च, बुधवार- विनायक चतुर्थी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
21 मार्च, रविवार- फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होलिका दहन और होलाष्टक कहा जाता है और यह 21 मार्च से शुरू होता है जो 28 मार्च तक जारी रहेगा। इन दिनों में शुभ कार्य पर मनाही होती है।
25 मार्च, गुरुवार- आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा और व्रत करने का विधान है।
26 मार्च, शुक्रवार- प्रदोष व्रत फाल्गुन के शुक्ल पक्ष के दिन, प्रदोष व्रत किया जाता है, यह व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है।
28 मार्च, रविवार- होलिका दहन और फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 28 मार्च रविवार को है, इस दिन को होलिका दहन के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
29 मार्च, सोमवार- रंगों का त्योहार होली, होलिका दहन अगले दिन सोमवार 29 मार्च को होली मनाई जाती है।
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