भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया इतिहास रचने की तैयारी में है। इसरो (ISRO) अपने बहुप्रतीक्षित गगनयान मिशन के पहले ट्रायल की योजना इस साल के अंत तक बना चुका है। अगर सबकुछ योजना के मुताबिक चला, तो भारत जल्द ही उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा है।
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) को ऑर्बिटल फ्लाइट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य न सिर्फ टेक्नोलॉजिकल क्षमता दिखाना है, बल्कि भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाना भी है।
कब होगा पहला ट्रायल?
ISRO चेयरमैन वी. नारायणन ने हाल ही में जानकारी दी कि अक्टूबर 2025 से तीन बिना क्रू वाले मिशन की टेस्टिंग शुरू होगी। इसके बाद दो मानवयुक्त ट्रायल होंगे। अगर सब कुछ सही रहा, तो 2027 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री गगनयान मिशन के तहत ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट से अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे।
कौन होंगे हमारे पहले स्पेस हीरो?
गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार भारतीय एस्ट्रोनॉट्स हैं:
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ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर
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अजीत कृष्णन
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अंगद प्रताप
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विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
इन सभी की ट्रेनिंग अब अंतिम चरण में है और इन्हें विश्व स्तरीय स्पेस एजेंसियों के साथ मिलकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भी भारत की दस्तक
जून 2025 में एक भारतीय एस्ट्रोनॉट ISS (International Space Station) का हिस्सा बनेंगे। यह कदम गगनयान मिशन की तैयारी का हिस्सा है ताकि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को माइक्रोग्रैविटी में काम करने और स्पेस में रहने का व्यावहारिक अनुभव मिल सके।
चंद्रयान मिशनों में भी तेजी
सरकार ने हाल ही में ISRO को चंद्रयान-5 मिशन के लिए हरी झंडी दे दी है। इसका मकसद चंद्रमा की सतह, वातावरण और संभावनाओं की जांच करना है। इस मिशन में जापान की स्पेस एजेंसी का सहयोग भी मिलेगा।
इससे पहले, चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से सैंपल लाकर धरती पर लाना है, और यह मिशन 9200 किलोग्राम वज़नी होगा- जो चंद्रयान-3 से कहीं बड़ा और जटिल है।
भारत का अंतरिक्ष मिशन अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रहा है। गगनयान और चंद्रयान जैसे मिशनों से भारत न सिर्फ वैज्ञानिक रूप से, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है।
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