हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत राज्य आपातकाल की घोषणा और राष्ट्रपति की उसके बाद की कार्यवाहियों में 'उचित संबंध होना अनिवार्य है। आए जानते है अनुच्छेद 356 के कुझ मुख्य विन्दु:
भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 से लिया गया है। इसके अनुसार भारत के किसी भी राज्य पर संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इस अनुच्छेद को आम भाषा में 'राष्ट्रपति शासन' के नाम से जाना जाता है। अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति को दो आधारों पर शासक घोषित किया जा सकता है। आए जानते है कि अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति कौन से दो आधारों पर शासक घोषित किया जा सकता है:
- यदि राष्ट्रपति संतुष्ट है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें किसी राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती है।
- अनुच्छेद 365 के अनुसार जब भी कोई राज्य केंद्र के किसी निर्देश का पालन करने या उसे लागू करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति के लिए यह मानना वैध होगा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राज्य की सरकार उसके अनुसार नहीं चल सकती है।
राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे अनुमोदित किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति शासन प्रारंभ में छह महीने की अवधि के लिए होता है। बाद में इसे हर छह महीने में संसदीय मंजूरी के साथ तीन साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।
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