📍 लखनपाल
(जालंधर), 16 मई:
पंजाब का लखनपाल गांव अब नशे से आज़ाद है –
और इसका श्रेय जाता है मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में चल रही प्रभावशाली मुहिम 'युद्ध
नशों विरुद्ध'
को। एक समय था जब यह गांव नशा तस्करी के लिए कुख्यात हो चुका था, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।
🏅 अब
गांव की पहचान बदली है – नशे
से लड़ने वाले योद्धाओं का गांव!
सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर जतिंदर
कुमार ने
भावुक होकर कहा,
"हम
अपने गांव का नाम लेने में शर्मिंदा होते थे,
आज गर्व होता है। यह सरकार ने नामुमकिन को मुमकिन कर
दिखाया।"
👮♂️ पुलिस
और प्रशासन की सख्ती, गांव
में लौटी रौनक
गांव निवासी
हरमेश लाल
ने बताया कि कैसे
पीला पंजा चलाकर
नशा तस्करों के अड्डों पर कार्रवाई की गई और एक-एक कर उनकी कमर
तोड़ दी गई। उन्होंने युवाओं के लिए
खेल और शिक्षा
को बढ़ावा देने की अपील की ताकि वे फिर कभी इस दलदल में न
फंसे।
🧑💻 नशा
छोड़कर कंप्यूटर एक्सपर्ट बना युवा –
प्रेरणा की मिसाल
22 वर्षीय हरबीर (बदला हुआ नाम) ने कहा,
"मैं
नशे में डूब चुका था, लेकिन
पुनर्वास केंद्र और कंप्यूटर ट्रेनिंग ने मुझे नई ज़िंदगी दी। अब मैं आत्मनिर्भर
हूं।"
🌱 सरकार
का ठोस एक्शन, गांव
से तस्कर भागे
गांववासी
इंदरपाल
ने बताया कि इस अभियान से न केवल नशा खत्म हुआ, बल्कि तस्कर खुद गांव छोड़कर भाग गए।
पहली बार ऐसा हुआ है जब सरकार ने वाकई जमीनी स्तर पर काम किया।
🙌 लोगों
का समर्थन और सरकार की नीयत –
मिलकर बनी ताकत
सरपंच
गुरविंदर सिंह
ने इसे हर पंजाबी का
नैतिक कर्तव्य
बताया। उन्होंने राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग देने का संकल्प लिया
और इस मुहिम को जन आंदोलन में बदलने की अपील की।
🎤 इस
मौके पर कैबिनेट
मंत्री महिंदर भगत और आप
नेता मनीष सिसोदिया की
मौजूदगी ने कार्यक्रम को और भी प्रेरणादायक बना दिया।
लखनपाल जैसे गांव की ये कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे पंजाब की उम्मीद है। यह
दिखाता है कि अगर सरकार, जनता
और प्रशासन साथ आएं, तो
नशे जैसी गंभीर समस्या का भी अंत संभव है।
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