एक बार शिवजी कैलाश पर्वत पहुंचे और पार्वती जी से भोजन मांगा। पार्वती जी विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। पार्वती जी ने कहा, अभी पाठ पूरा नहीं हुआ, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए। शिव जी ने कहा की इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे। संत लोग जिस तरह से सहस्र नाम को छोटा कर लेते हैं और नित्य जपते हैं वैसा उपाय कर लो।
पार्वती जी ने पूछा- वो कैसे करते हैं?
शिवजी बोले- केवल एक बार 'राम-राम' कह लो तो भगवान के एक हज़ार नाम लेने का फल मिल जाएगा। एक 'राम' नाम हज़ार दिव्य नामों के समान है।
प्रयास पूर्वक स्वयं भी 'राम' नाम जपते रहना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करे 'राम' नाम जपने के लिए। इस से अपना और दूसरों का तुरन्त कल्याण हो जाता है। यही सबसे सुलभ और अचूक उपाय है, इसीलिए हमारे यहां प्रणाम 'राम-राम जी' कहकर किया जाता है।
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