भारत और ओमान के मजबूत रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई तब मिली, जब ओमान ने भारत को 20 से अधिक जगुआर लड़ाकू विमान गिफ्ट करने का ऐलान किया। ये सभी विमान भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे। ओमानी एयरफोर्स में ये फाइटर जेट लंबे समय तक इस्तेमाल किए गए, लेकिन अब ये ऑपरेशनल नहीं हैं। ऐसे में ओमान इन्हें भारत को देने की तैयारी में है ताकि भारतीय वायुसेना इन्हें दोबारा उपयोग में ला सके।
भारतीय वायुसेना के लिए ये जगुआर जेट बेहद काम के साबित होने वाले हैं, इसलिए भारत ने इन्हें स्वीकार करने में बिल्कुल देर नहीं लगाई।
भारत इन जगुआर विमानों का इस्तेमाल कैसे करेगा?
इसी कमी को पूरा करने के लिए ओमान से मिले ये विमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
स्पेयर पार्ट्स की कमी से जूझ रहा भारत
ब्रिटेन और फ्रांस की वायुसेनाओं में भी कभी जगुआर जेट थे, लेकिन उन्हें पहले ही रिटायर कर दिया गया है। उत्पादन बंद होने के बाद स्पेयर पार्ट्स भी उपलब्ध नहीं होते, जिससे भारतीय वायुसेना लगातार चुनौती का सामना कर रही थी।
भारत को पहला जगुआर कब मिला?
जगुआर का उपयोग:
· 1999 के कारगिल युद्ध
भारतीय वायुसेना समय-समय पर इन विमानों को अपग्रेड और ओवरहॉल करती रही है। फिर भी, इन्हें बड़ी मात्रा में स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता रहती है ताकि ये भविष्य में भी ऑपरेशनल बने रहें।
निष्कर्ष: भारत की वायु क्षमता होगी और मजबूत
ओमान से मिले ये जगुआर फाइटर जेट भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले हैं। स्पेयर पार्ट्स की कमी दूर होने से वायुसेना अपने मौजूदा जगुआर बेड़े को आने वाले कई वर्षों तक ऑपरेशनल और प्रभावी रख पाएगी।
यह कदम भारत–ओमान रक्षा साझेदारी को भी और मजबूत बनाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें