मार्गशीर्ष पूर्णिमा सनातन धर्म में अत्यंत शुभ और पावन तिथि मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है, जिससे धरती पर दिव्य और सकारात्मक ऊर्जा का विशेष संचार होता है। इसी कारण यह तिथि पूजा-पाठ, दान और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है।
🌕 मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन चंद्र देव और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, दुख-कष्ट कम होते हैं और मन को शांति मिलती है। साथ ही व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया भी रहने वाला है। सामान्यतः भद्रा में शुभ कार्य टाल दिए जाते हैं, लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल भिन्न है—इस वर्ष भद्रा स्वर्ग लोक में रहेगी, इसलिए इसका प्रभाव पृथ्वी (मृत्युलोक) पर नहीं पड़ेगा।
📅 मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार:
उदयातिथि के आधार पर यह पवित्र पर्व 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा।
⚠️ मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 में भद्रा का प्रभाव
· भद्रा प्रारंभ: 4 दिसंबर 2025, सुबह 8:36 बजे
· हालांकि भद्रा का समय रहेगा, लेकिन इस वर्ष भद्रा स्वर्ग लोक में होने के कारण पृथ्वी पर इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिए पूजा, व्रत, दान जैसे सभी शुभ कार्य निर्भय होकर किए जा सकते हैं।
🕉️ मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 स्नान एवं दान के शुभ मुहूर्त
धार्मिक कार्यों के लिए इस दिन विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:
🌟 निष्कर्ष
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 का यह पावन दिन आध्यात्मिक उन्नति, दान-पुण्य और ईश्वर भक्ति के लिए अत्यंत शुभ है। इस बार भद्रा का प्रभाव पृथ्वी पर न होने से सभी धार्मिक कार्य बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं। अपने जीवन में शांति, सुख, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए इस दिन अवश्य पूजा-पाठ और दान का विशेष महत्व है।
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