ज्योतिष के अनुसार चांदी सबसे शुद्ध धातु है। चांदी का उपयोग पूजा के बर्तन, नैवेद्य के बर्तन आदि में किया जाता है। भारतीय महिलाएं अपने गले में चांदी की चेन और पैरों में चांदी की पायल और अंगूठियां पहनती हैं। हिंदू पूजा और ज्योतिष में चांदी को एक पवित्र और शुद्ध धातु माना जाता है। आइए जानते हैं कि चांदी महिलाओं के लिए सबसे शुभ धातु क्यों है।
1. चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र से माना जाता है। चंद्रमा जहां मन का कारक है वहीं शुक्र ऐश्वर्य और धन का कारक ग्रह है। महिलाओं की कुंडली में बृहस्पति ग्रह के साथ-साथ इन दोनों ग्रहों की बहुत अधिक उपयोगिता होती है।
2. चांदी महिलाओं के दिमाग और मन को मजबूत रखती है, वहीं शुक्र की शक्ति से आत्मविश्वास, कला और सौंदर्य में वृद्धि होती है।
3. आयुर्वेद और ग्रंथों में भी चांदी के कई उपयोग बताए गए हैं, जिससे तन और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। चांदी के बारे में तो यहां तक कहा गया है कि इस धातु के बर्तन में नियमित रूप से पानी पीने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी मिलता है। चांदी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत कर उम्र बढ़ाती है।
4. चांदी देवी लक्ष्मी की प्रिय धातु है। चांदी के साथ मां लक्ष्मी के एक रूप रजत लक्ष्मी की पूजा भी जुड़ी हुई है।
5. चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र से है। यह भाग्य को बढ़ाता है। इसलिए महिलाएं पायल और बीचिया चांदी पहनती हैं। चांदी के माध्यम से व्यक्ति जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकता है।
6. पैर में अंगूठी पहनने के संबंध में कहा जाता है कि जिस पैर की उंगली में इसे पहना जाता है उसका सीधा संबंध गर्भाशय और हृदय से होता है। इन्हें पहनने से महिला को गर्भधारण करने में आसानी होती है और मासिक धर्म भी सही रहता है। चांदी का होने के कारण यह इस ऊर्जा को जमीन से प्राप्त करता है और पूरे शरीर में पहुंचाती है।
7. चांदी की पायल पहनने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। यह महिलाओं की हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे उनके पैरों की हड्डियां तो मजबूत होती ही हैं, साथ ही शरीर की संरचना को भी नियंत्रित करती है।
8. लौंग को नाक में धारण करने से श्वास पर नियंत्रण रहता है और श्वास संबंधी रोगों से बचाव होता है। यह गुरु से संबंधित समस्या का भी समाधान करती है।
9. झुमके पहनने से राहु और केतु से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
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