हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने जानकारी दी कि 27 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.11 अरब डॉलर घटकर 640.28 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। पिछले सप्ताह की तुलना में यह गिरावट थोड़ी और बढ़ी थी, जब यह 8.48 अरब डॉलर घटकर 644.39 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
क्यों हो रही है गिरावट?
इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए आर.बी.आई. का विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बताया जा रहा है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा भंडार का मूल्यांकन भी इस गिरावट को प्रभावित कर रहा है। आर.बी.आई. का ये कदम रुपये को स्थिर रखने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी है।
क्या हैं नए आंकड़े?
- विदेशी मुद्रा आस्तियां 4.64 अरब डॉलर घटकर 551.92 अरब डॉलर हो गईं।
- स्वर्ण भंडार में 54.1 करोड़ डॉलर का इज़ाफा हुआ, जो अब 66.27 अरब डॉलर हो गया है।
- विशेष आहरण अधिकार (S.D.R.) 1.2 करोड़ डॉलर घटकर 17.87 अरब डॉलर हो गए।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास भारत का आरक्षित भंडार 4.22 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा।
आखिरकार, इसका असर क्या होगा?
इस गिरावट के बावजूद, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी काफी मजबूत स्थिति में है। हालांकि, यह गिरावट आने वाले समय में रुपये के मूल्य को प्रभावित कर सकती है, लेकिन आर.बी.आई. की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश से अर्थव्यवस्था पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, जो देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा को स्थिर रखने के लिए जरूरी है। हालांकि, यह उतार-चढ़ाव भारतीय रुपये पर असर डाल सकते हैं, लेकिन आर.बी.आई इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
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