अयोध्या,
जो धर्म और आस्था की नगरी मानी जाती है, इस बार 30 अप्रैल, अक्षय तृतीया के
दिन एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जा रही है। पहली बार हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत, श्री प्रेमदास जी, हनुमान जी का प्रतीक
चिन्ह (निशान) लेकर रामलला
के दर्शन के
लिए शाही यात्रा के साथ निकलेंगे। यह अवसर अयोध्या के धार्मिक इतिहास में पहली बार
हो रहा है।
शाही स्नान और दिव्य
दर्शन का पावन योग
हनुमानगढ़ी के पंचों की अनुमति और
आशीर्वाद के बाद, इस
पावन दिन नागा
साधु शाही स्नान करेंगे।
शाही स्नान के उपरांत सभी संत रामलला के दरबार में दर्शन करेंगे और राम
रक्षा स्तोत्र का
पाठ करेंगे। भगवान राम को
56 भोगों का
दिव्य प्रसाद हनुमान जी की ओर से समर्पित किया जाएगा।
शाही यात्रा का भव्य
आयोजन
सुबह 7:00
बजे से शुरू होने वाली शाही यात्रा, पूरे शहर में आस्था और भक्ति की लहर
दौड़ा देगी। सबसे आगे हाथी और घोड़े होंगे,
फिर भगवान श्री हनुमान जी का पवित्र निशान, उसके पीछे बैंड-बाजे और नागा साधु, फिर महंत प्रेमदास जी का रथ और अंत में
वरिष्ठ साधु-संत होंगे।
यह यात्रा हनुमानगढ़ी, श्रंगार हाट, तुलसी उद्यान और
कच्चे घाट होते
हुए सरयू
नदी के
तट तक पहुंचेगी। वहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सरयू पूजन और फिर श्री हनुमान जी के निशान का पूजन किया
जाएगा। इसके बाद होगा पावन
शाही स्नान, जिसमें
नागा साधु भी भाग लेंगे।
भगवान श्री हनुमान जी
के प्रतिनिधि की ऐतिहासिक यात्रा
धार्मिक परंपरा के अनुसार, हनुमानगढ़ी की गद्दी पर विराजमान महंत को श्री हनुमान जी का प्रतिनिधि माना जाता है। गद्दीनशीन व्यक्ति आमतौर पर 52 बीघा की सीमा के बाहर बिना निशान के नहीं जा सकते। यह पहला ऐतिहासिक मौका है जब गद्दीनशीन महंत रामलला के दर्शन को जा रहे हैं।
अगर आप भी इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा
बनना चाहते हैं, तो
इस अक्षय तृतीया पर अयोध्या जरूर जाएं और रामलला के दर्शन के साथ इस दिव्य यात्रा
का अनुभव लें।
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