भारत-अमेरिका ट्रेड डील: भारत ने फिर दोहराया: 'हम अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेंगे' - MSD News

This website of MSD News makes the students preparing for government jobs aware of the current affairs and latest news of the country.

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

अपनी पसंदीदा भाषा में पढ़ने के लिए भाषा का चयन करें

भारत-अमेरिका ट्रेड डील: भारत ने फिर दोहराया: 'हम अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेंगे'

Foreign Trade Policy


नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाए जाने के बाद, देश में इस मुद्दे को लेकर हलचल तेज हो गई है। इसी को लेकर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बयान दिया कि भारत और अमेरिका के बीच इस मसले पर बातचीत अभी जारी है, और अगस्त के अंतिम सप्ताह में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के भारत आने की संभावना है।

 

भारत का सख्त रुख - एग्री और डेयरी सेक्टर नहीं होंगे समझौते का हिस्सा

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एग्रीकल्चर और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि जीएम क्रॉप्स, डेयरी और एग्री सेक्टर को लेकर कोई ढील नहीं दी जाएगी

 

क्या भारत-अमेरिका ट्रेड डील संभव है?

पिछले कुछ महीनों में पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। भारत ने कोशिश की कि अगर पूरी डील नहीं भी हो, तो एक अंतरिम समझौता हो सके, लेकिन अमेरिका की ओर से लगातार दबाव था कि उसे इन तीन सेक्टर्स में एंट्री मिले। साथ ही, अमेरिका की ओर से यह भी कहा गया कि भारत को रूस जैसे देशों से अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना होगा

 

सरकार की अगली रणनीति क्या है?

अब भारत सरकार सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके बाद इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग्स होंगी, जिनसे यह तय किया जाएगा कि विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy) में बदलाव की जरूरत है या नहीं।

गौरतलब है कि सरकार पहले हर साल व्यापार नीति तैयार करती थी, लेकिन अब एक दीर्घकालिक नीति है, जिसमें आवश्यकता अनुसार संशोधन किया जाता है।

 

टैरिफ लागू होने से पहले मिला 7 दिन का समय

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को 7 दिन का तकनीकी एक्सटेंशन दिया गया है ताकि जो माल ट्रांजिट में है, वो अपनी मंज़िल तक पहुंच सके। इस दौरान बैकचैनल बातचीत जारी है और उम्मीद की जा रही है कि शायद कोई अंतरिम समझौता हो सके - हालांकि इसकी संभावना कम है।

 

क्या होगा अगर डील नहीं बनती?

अगर दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं होता है, तो भारत सरकार इस बात पर फोकस करेगी कि किस तरह से घरेलू सेक्टर्स जैसे MSME, कृषि, डेयरी और मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती दी जाए। नीति में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है और सरकार इसका आकलन कर रही है।

 

📌 निचोड़: भारत स्पष्ट है - समझौता तभी होगा जब दोनों देशों को समान लाभ मिले। जल्दबाज़ी नहीं करेंगे।

सरकार की प्राथमिकता है कि भारत के किसानों, उद्योगों और छोटे व्यवसायों को नुकसान न हो। अब देखना यह है कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा क्या नया मोड़ लाती है।

 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts

Post Bottom Ad

Pages